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शर्मसार मानवता- अलका मिश्रा

शर्मसार मानवता- अलका मिश्रा

“हजारों लड़ाइयों में जीतने से अच्छा है, कोई अपने आप को जीत ले।”

यह अंक अप्रैल-मई का संयुक्तांक है। दोनों महीनों का अपना-अपना महत्व है। अप्रैल में संपूर्ण विश्व पृथ्वी दिवस मनाता है, जिस दिन पर्यावरणविद् पृथ्वी के बदलते पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर गहन चिंता प्रकट करते हैं और धरती को बचाने की अपील करते हैं। किंतु दुर्भाग्यवश, यह अपील आम जनमानस के व्यवहार में कोई विशेष परिवर्तन नहीं ला पा रही है। लोग आज भी प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप मौसम असामान्य रूप से गर्म होता जा रहा है और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव तेजी से सामने आ रहे हैं।

अब जबकि हम इस परिवर्तन को पूरी तरह से रोक नहीं सकते, तो कम से कम इसकी तीव्रता को अवश्य ही कम किया जा सकता है- यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर प्रयास करे। मेरी आप सभी से करबद्ध प्रार्थना है कि हम एकजुट होकर पृथ्वी को कष्टमुक्त बनाने का संकल्प लें। एक सुखी और स्वस्थ भविष्य के लिए पर्यावरण की रक्षा आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

अप्रैल माह में मुझे श्रीनगर भ्रमण का अवसर प्राप्त हुआ, जहाँ प्रकृति अपने सर्वाधिक सुंदर रूप में उपस्थित थी। हिमालय की पर्वत श्रृंखला, देवदार से घिरी घाटियाँ और बर्फ से आच्छादित चोटियाँ मन को मोह लेने वाली थीं। चूँकि मेरे बचपन के कई वर्ष वहीं बीते हैं, इसलिए वहाँ पुनः जाने की इच्छा लंबे समय से थी, जो इस बार पूरी हुई। लेकिन इसी स्वर्ग सरीखी वादी में 22 अप्रैल को एक ऐसा काला दिन भी आया, जिसने सबकुछ बदल कर रख दिया।

देश के विभिन्न भागों से आए पर्यटकों में से 26 निर्दोष लोगों और एक स्थानीय कश्मीरी युवक की निर्मम हत्या आतंकवादियों ने कर दी। यह घटना न केवल पहलगाम की सुंदर घाटी, बल्कि समूचे देश के हृदय को चीरने वाली थी। इस घटना से सम्पूर्ण मानवता को शर्मसार है। जिस बैसरन घाटी में मैं 13 अप्रैल को शांति और सौंदर्य का आनंद ले रही थी, वही घाटी कुछ ही दिनों बाद निर्दोषों के रक्त से लाल हो गई।

भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान स्थित कई आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया, किंतु वे आतंकी अभी भी पकड़ से बाहर हैं, जिन्होंने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया। पाकिस्तान हमेशा की तरह अपने किए से इनकार करता रहा और सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिक इलाकों पर हमले जारी रखे। देशवासी इस बार आर-पार की लड़ाई की अपेक्षा कर रहे थे किंतु अज्ञात कारणों से युद्धविराम की घोषणा कर दी गई।

दुखद यह है कि पाकिस्तान ने इस युद्धविराम का भी सम्मान नहीं किया और सीमा पर गोले दागना व ड्रोन भेजना जारी रखा। हमारी सेना संयम बरत रही है परंतु देशवासियों की पीड़ा और आक्रोश दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। बैसरन घाटी के उन बेगुनाहों को न्याय कब मिलेगा, इसका उत्तर अभी भी भविष्य के गर्भ में छिपा है।

बहुत कुछ कहने की इच्छा होते हुए भी अब कुछ कह पाने में असमर्थ हूँ,  मन अत्यंत व्यथित है। अंत में महात्मा बुद्ध के एक विचार के साथ अपनी बात समाप्त करती हूँ-

“हजारों लड़ाइयों में जीतने से अच्छा है, कोई अपने आप को जीत ले।”

3 Total Review
A

Alka Mishra

20 May 2025

हार्दिक आभार पवन श्रीवास्तव जी एवं अनमोल जी

पवन श्रीवास्तव

17 May 2025

संक्षेप में बहुत ही संदेशपरक और देशवासियों की पीड़ा को स्वर देने वाला सार्थक आलेख, हार्दिक शुभकामनायें।

के० पी० अनमोल

17 May 2025

संक्षेप में बहुत कुछ। सामयिक और सार्थक।

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रचनाकार परिचय

अलका मिश्रा

ईमेल : alkaarjit27@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि-27 जुलाई 1970 
जन्मस्थान-कानपुर (उ० प्र०)
शिक्षा- एम० ए०, एम० फिल० (मनोविज्ञान) तथा विशेष शिक्षा में डिप्लोमा।
सम्प्रति- प्रकाशक ( इरा पब्लिशर्स), काउंसलर एवं कंसलटेंट (संकल्प स्पेशल स्कूल), स्वतंत्र लेखन तथा समाज सेवा
विशेष- सचिव, ख़्वाहिश फ़ाउण्डेशन 
लेखन विधा- ग़ज़ल, नज़्म, गीत, दोहा, क्षणिका, आलेख 
प्रकाशन- बला है इश्क़ (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित
101 महिला ग़ज़लकार, हाइकू व्योम (समवेत संकलन), 'बिन्दु में सिन्धु' (समवेत क्षणिका संकलन), आधुनिक दोहे, कानपुर के कवि (समवेत संकलन) के अलावा देश भर की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं यथा- अभिनव प्रयास, अनन्तिम, गीत गुंजन, अर्बाबे कलाम, इमकान आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
रेख़्ता, कविता कोष के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित वेब पत्रिकाओं हस्ताक्षर, पुरवाई, अनुभूति आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्पादन- हिज्र-ओ-विसाल (साझा शेरी मजमुआ), इरा मासिक वेब पत्रिका 
प्रसारण/काव्य-पाठ- डी डी उत्तर प्रदेश, के टी वी, न्यूज 18 आदि टी वी चैनलों पर काव्य-पाठ। रेखता सहित देश के प्रतिष्ठित काव्य मंचों पर काव्य-पाठ। 
सम्मान-
साहित्य संगम (साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था तिरोड़ी, बालाघाट मध्य प्रदेश द्वारा साहित्य शशि सम्मान, 2014 
विकासिका (साहित्यिक सामजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था कानपुर द्वारा ग़ज़ल को सम्मान, 2014
संत रविदास सेवा समिति, अर्मापुर एस्टेट द्वारा संत रवि दास रत्न, 2015
अजय कपूर फैंस एसोसिएशन द्वारा कविवर सुमन दुबे 2015
काव्यायन साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित, 2015
तेजस्विनी सम्मान, आगमन साहित्य संस्था, दिल्ली, 2015
अदब की महफ़िल द्वारा महिला दिवस पर सम्मानित, इंदौर, 2018, 2019 एवं 2020
उड़ान साहित्यिक संस्था द्वारा 2018, 2019, 2021 एवं 2023 में सम्मानित
संपर्क- एच-2/39, कृष्णापुरम
कानपुर-208007 (उत्तर प्रदेश) 
 
मोबाइल- 8574722458