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राजेंद्र वर्मा के हाइकु

राजेंद्र वर्मा के हाइकु

राजेन्द्र वर्मा कई विधाओं में सिद्ध हस्त हैं। आपको कई पुरस्कार/सम्मान प्राप्त हुए हैं। आप अपनी रचनाओं में सामाजिक मुद्दों को बड़ी ही मुखरता से उठाते हैं। 

पहली बूँद,
माटी से आने लगी
सोंधी महक।



कमल खिले—  
खिलखिलाने लगे
उदास बच्चे।



धुनी कपास—
लिहाफ़ से सुस्ताते
मेघ के छौने।
 


अंकुर फूटा,
धूप लाई कलेवा,
दुलारे हवा।



हरी साड़ी में 
लिपटी वसुंधरा,
मुस्काता ठूँठ।
 


गिरते ओले 
टीन की छत पर—
बजते ताशे।



पूस की रात,
लिपटा पड़ा ‘हल्कू’
श्वान के साथ।
 


रोटी-सा चाँद—
फुटपाथ पे बच्चा 
मलता पेट।



सरसों खिली—
हरी चूनर पर 
पीली बुँदियाँ।
 


पतंगें उड़ीं—
रंग-बिरंगे पंछी 
आसमान में।
 


माघ नहान, 
लहड़ू पर सवार 
गा रहीं स्त्रियाँ।
 


हवा ने भेजी
खुशबूवाली पाती,
पके हैं आम!
 


गाय बुढ़ायी,
मेटाडोर में लदी
बहाये आँसू।
 


बिटिया जन्मी,
लटक गया मुँह,
वाह रे मर्द!
 


स्टोव फटता,
एक बहू को छोड
कौन जलता?
 


दीवारें ख़ुश,
खूँटियों पर टँगे
महापुरुष।
 
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रचनाकार परिचय

राजेन्द्र वर्मा

ईमेल : rajendrapverma@gmail.com

निवास : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि- 8 नवम्बर 1957
जन्मस्थान- बाराबंकी (उ.प्र.) के एक गाँव में
प्रकाशन-
पाँच ग़ज़ल संग्रह, तीन गीत/नवगीत-संग्रह, दो दोहा-संग्रह, दो हाइकु-संग्रह, ताँका, पद, और सात व्यंग्य-संग्रह,
निबंध, उपन्यास, कहानी, लघु कहानी, लघुकथा, आलोचना, काव्य-शास्त्र सहित तीन दर्ज़न पुस्तकें प्रकाशित।
महत्वपूर्ण संकलनों में सम्मिलित।
संपादन-
हिंदी ग़ज़ल के हज़ार शेर, गीत-शती, गीत-गुंजन।
साहित्यिक पत्रिका अविरल मंथन (1996-2003)
पुरस्कार/ सम्मान-
उ.प्र.हिन्दी संस्थान के श्रीनारायण चतुर्वेदी और महावीरप्रसाद द्विवेदी नामित पुरस्कारों सहित देश की अनेक
संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
अन्य।
विशेष- लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा रचनाकार पर एम फिल.।
अनेक शोधग्रन्थों में संदर्भित। चुनी हुई कविताओं का अंग्रेज़ी में अनुवाद।
एक निबंध स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में सम्मिलित।
सम्पर्क- 3/29 विकास नगर, लखनऊ 226 022 (मो. 80096 60096)