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राहुल शिवाय के गीत

राहुल शिवाय के गीत

प्रीति-सौरभ इस हृदय में
क्यों बसाऊँ मैं
और कस्तूरी लिए
क्यों मृग सदृश भटकूँ
उर्वशी के रूप से
बींधा हुआ खग बन
क्यों हृदय की कामना को
पुरुरवा कर दूँ

एक- टूटे बटन कमीज के

उसी भाव से
टाँके तुमने
टूटे बटन कमीज के
जैसे मेरी
उम्र माँगने
करती हो व्रत तीज के

तन यह महक उठा मेहँदी से
नित्य बज रहे वंशी-मादल
सिन्दूरी रँग ने ऊसर के
हिस्से में लिख डाला बादल

अलता भीगे
क़दमों के सँग
जगे भाग्य दहलीज के

उम्मीदों की गठरी लेकर
घर की आँखों में अँखुआयी
नये-नये हौसले जगाकर
तुम मन-पाँखों में अँखुआयी

जैसे
अँखुआते हैं सपने
नम होते ही बीज के
मेरी सुविधाओं को तुमने
अपने कर्तव्यों में ढाला
प्रेम-भाव से सिक्त किया है
तुम ने ही हर एक निवाला

सभी बलाएँ
दूर भगाईं
बिना किसी ताबीज के।

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दो- बज उठी तुम एकतारे की तरह

उँगलियाँ थिरकीं
कभी जब देह पर
बज उठी तुम एकतारे की तरह

तुम सतत संगीत की
लहरें हुईं
और लहरों ने मुझे हर पल छुआ
तुम नदी की धार-सी
बढ़ती रही
मैं अपरिचित प्रेम से परिचित हुआ

है तुम्हारी चेतना
संगीतमय
और मैं गुमसुम किनारे की तरह

तुम मुझे
आकर नदी तक ले गयी
हाथ में पतवार दी विश्वास की
यों सतत
अमृत कलश भरती रही
तृप्ति तक पहुँचीं कथाएँ प्यास की

चाहता हूँ
प्रेममय-रसधार में
मैं तिरूँ तुम सँग शिकारे की तरह
उर्वशी-सा रूप
मन की मेनका
किंवदंती सत्य करने आ गयी
तन पुरुरवा की तरह
व्याकुल हुआ
दम्भ विश्वामित्र-सा पिघला गयी

मैं तुम्हारी दृष्टि का
कर अनुगमन
हो गया चंचल इशारे की तरह।

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तीन- सिन्दूरी साड़ी में ऐसा रूप तुम्हारा

सिन्दूरी साड़ी में
ऐसा रूप तुम्हारा
जैसे खिली धूप में हों फूले गुलमोहर

कचनारी आँखों में
है कथकली-भंमिगा
सोनमछरियाँ झूल रहीं जैसे कानों में
अधरों के हावों-भावों सँग
नथ बलखाती
जैसे तितली इतराती है उद्यानों में

पुरवाई के साथ
मचलते इस आँचल में
आयी हो क्या कोई चाँद-सितारे जड़कर

छुईमुई-सी लाज लजाई
सिकुड़ी बाँहें
आलिंगन का स्नेह निमंत्रण बाँच रही हैं
छठवीं ज्ञानेन्द्री से
वह भी जान रही हो
जो बातें मेरे अधरों ने नहीं कही हैं

चाहे लाख छुपाया तुमने
हृदय-ज्वार को
मुस्कानों में एक लहर लौटी है मुड़कर
मृदुल हँसी से
पारिजात झर उठे अचानक
उल्लासित हो खनक रहे हाथों में कंगन
पायल, मेहँदी, चूड़ामणि
करधनी, महावर
सतत कर रहे प्रणय-वीथिका पर अभिनंदन

इस निर्धन को
प्रेमिल निधियाँ सौंपी तुमने
और सजाया है सिर पर सौभाग्य बताकर।

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चार- पग-पग महावर रच रही है

यह नदी
पग-पग महावर रच रही है
इस नदी में पाँव क्या तुमने बढ़ाये?

जन्म-जन्मों से
तृषित हर याचना को
पूर्ण तट की कामनाओं ने किया है
कौन-सा
उत्सव जगा है लहरियों में
किस तरह यह ताप मन का हर लिया है

इस हृदय का
कौन अभिनंदन करेगा
यों लगा जैसे कि तुम ही लौट आये

तोड़ हठ लहरें
बढ़ीं मुझ ओर कैसे
क्या इन्हें पुरवाइयों ने पत्र भेजे
किस तरह
सम्पर्क में वे आ गये हैं
जो अलक्षित भाव थे हमने सहेजे

तुम कहो
संवाद के ये कुशल-कौशल
कमल-कोषों को भला किसने सिखाये?

साँझ होते
इस नदी की हर लहर सँग
नृत्य करतीं चाँदनी की भंगिमाएँ
रूप के सारे कथानक
भी वही हैं
हैं तुम्हारे ही सदृश सारी कलाएँ

यह रजत नूपुर पहन
इस चाँदनी ने
आस के दीपक भला क्यों जगमगाये?

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पाँच- लौ प्रणय की

मित्र पुरवाई!
यहाँ तुम शंख मत फूँको
इस हृदय में लौ प्रणय की थरथराएगी

गीत देते हैं सुनाई
आम-महुआ के
शुभ्र मन वनवीथियों से
जब गुज़रता है
भूल अपना ध्येय,
अपनी साधनाओं को
तब अपरिचित-सा पथिक
मन में उतरता है

पीत सरसों से कहो
आँचल न लहराए
आस हल्दी की हृदय में कसमसाएगी

धैर्य की समिधा
अगर इन सप्तपदियों के
मंत्र से सहबद्ध होगी,
कौन थिर होगा
हर दिशा संभावनाओं
को जगाएगी
और फिर मधुमास जैसा ही
शिशिर होगा
इस कुँवारी दृष्टि को
सौंपो न मंजरियाँ
यह अकेली साँझ सुध-बुध भूल जाएगी

प्रीति-सौरभ इस हृदय में
क्यों बसाऊँ मैं
और कस्तूरी लिए
क्यों मृग सदृश भटकूँ
उर्वशी के रूप से
बींधा हुआ खग बन
क्यों हृदय की कामना को
पुरुरवा कर दूँ

टेसुओं को बोल दो
भेजें न हरकारे
प्रीति मेरे द्वार से ईंगुर न पाएगी।

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वसंत जमशेदपुरी

17 February 2025

अप्रतिम नवगीत

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रचनाकार परिचय

राहुल शिवाय

ईमेल : rahulshivay@gmail.com

निवास : बेगूसराय (बिहार)

जन्मतिथि- 01 मार्च, 1993
जन्मस्थान- बेगूसराय (बिहार)
सम्प्रति- उपनिदेशक कविता कोश
लेखन विधाएँ- कविता एवं गद्य की विभिन्न विधाओं में लेखन।
प्रकाशित कृतियाँ- हिंदी- स्वाति बूँद (कविता संग्रह), मेवाड़ केसरी (प्रबंध काव्य), बच्चों का बसंत (बाल कविताएँ), शब्द-शब्द से प्यार किया (कविता, गीत, ग़ज़ल संग्रह), तप रहे हैं शब्द मन के (नवगीत संग्रह), आँसू मेरे मधुमास तुम्हारे (कविता संग्रह), एक कटोरी धूप (दोहा संग्रह), मौन भी अपराध है (नवगीत संग्रह)
अंगिका- संवेदना (कविता संग्रह), अंगिका दोहा शतक (दोहा संग्रह), मांटी हिन्दुस्तान के (देशभक्ति गीत) रितु-रास (रितु गीत), भर-भर हाथ सरंग (नवगीत संग्रह)
सम्पादित कृतियाँ- स्वर धारा (कविता संग्रह), दोहा एकादशी (दोहा संग्रह), कविता के नवरत्न (कविता संग्रह), गुनगुनाएँ गीत फिर से (गीत संग्रह), दोहा दर्शन (दोहा संग्रह), गुनगुनाएँ गीत फिर से-2 (गीत संग्रह), दोहा मंथन (दोहा संग्रह), नयी सदी के नये (गीत-नवगीत संग्रह), गुनगुनाएँ गीत फिर से-3 (गीत संग्रह), कविता के दरवेश: दरवेश भारती, एक चिड़िया धड़कनों में (माहेश्वर तिवारी के प्रतिनिधि नवगीत), उम्मीद (हिन्दी भाषा की प्रेरक कविताएँ)
पुरस्कार/सम्मान- उ०प्र० हिन्दी संस्थान, लखनऊ से हरिवंश राय बच्चन युवा गीतकार सम्मान, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से शताब्दी सम्मान सहित देशभर की विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित।
पता- सरस्वती निवास, चट्टी रोड, रतनपुर, बेगूसराय (बिहार)- 851101
मोबाइल- 8240297052