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पुष्पा सिंघी के हाइकु

पुष्पा सिंघी के हाइकु

महका प्यार 
सरहद के पार
ढही दीवार।

खिले पलाश
उसके बगीचे में
महकती मैं।

 
तुम्हारे संग
नहीं है कमज़ोर 
प्रीत की डोर।
 
 
प्रेम पर्याय
मानकर तुमको
मैं असहाय।
 
 
सुबह-शाम 
तुमसे शूरू-ख़त्म
मैं कहीं नहीं।
 
 
वासंती हवा
फूलों में टाँक गयी
यादें प्रिय की।
 
 
मुक्त आकाश 
साँकल बँधा प्रेम 
खोल दें आज।
 
 
प्रेम पर्वत 
चढ़ संँभलकर 
पथ दुष्कर।
 
 
महका प्यार 
सरहद के पार
ढही दीवार।
 
पुष्प-भ्रमर
मन का अनुबन्ध
सच्चा सम्बन्ध।
 
 
प्रीति-दर्पण
नदी में प्रतिबिम्बित 
नव युगल।
 
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1 Total Review
A

Anuradha Priyadarshini

20 February 2025

बहुत सुंदर हाइकु

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रचनाकार परिचय

पुष्पा सिंघी

ईमेल : pushpasinghi.ctc@gmail.com

निवास : कटक (ऑडिशा)

जन्मतिथि- 13 अक्टूबर, 1966 सरदारशहर ( राजस्थान)
सम्प्रति-  महामंत्री, राष्ट्रीय कवि संगम (ओडिशा) 
प्रकाशित पुस्तकें- जीवन के रंग, फिर सुबह होगी, पुष्प पराग, चादर में छिपी धूप, महाप्रज्ञ-बिम्ब प्रतिबिम्ब, साँसों की सरगम , दर्द का रिश्ता , ओढ़ी हुई आदतें (कविता संग्रह) सीपियाँ, आधी रात : आधी बात, रात बाक़ी: बात बाक़ी, स्त्री क्षणिका़ओं में (क्षणिकाएँ) मौन का अनुवाद, श्री महाप्रज्ञ गुरवे नम: (हाइकु संग्रह)
अजन्मा अस्तित्व (उपन्यास)
संकलन-संंपादन- गीत गुँजन (राजस्थानी लोकगीत)
ज्ञान-शिखा , राष्ट्र-वाणी, यशोगाथा एक कर्मयोगी की एवं अन्यान्य पत्रिकाएंँ-स्मारिकाएंँ
विशेष- आकाशवाणी, दूरदर्शन और मंचीय कवि सम्मेलनों में सहभागिता 
रेकी, ध्यान, योग, एक्युप्रेशर, संगीत, फोटोग्राफी और सामुदायिक सेवा
सम्मान-  विद्या वाचस्पति (उत्कृष्ट लेखन हेतु), अणुव्रत लेखक पुरस्कार व अन्यान्य राष्ट्रीय सम्मान-उपाधि आदि
सम्पर्क-  
'पुष्प विला'
काठगड़ा साही ( चौधरी बाजार )
कटक- 753001 ( ओडिशा )
मोबाइल- 9937534060