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प्रो० मुकेश की किताब 'बंजारा' का लोकार्पण

प्रो० मुकेश की किताब 'बंजारा' का लोकार्पण

नब्बे वर्षों बाद आई मधुशाला जैसी ताटक छंदों एवं एक ही विषय पर आधारित पुस्तक 

जो कहीं भी ठहरता नहीं, जीवन भर चलता रहता है, कहीं भी महल कोठी बंगले नहीं बनाता, जिसे लालच लिप्सा नहीं है, वही है बन्जारा। प्रो० मुकेश कुमार सिंह, पूर्व निदेशक यूपीटीटीआई कानपुर तांटक छन्द विधान में बन्जारा पुस्तक लिखी है जिसका हर छन्द 'बन्जारा' पर ही आकर समाप्त होता है गति,, यति, और मात्रा का व्याकरण अत्यन्त कठिन है परन्तु छन्द बड़े सरल और मनोहारी है एक ही विषय पर 234 छन्द लिखकर प्रो० मुकेश ने 90 वर्षों बाद ऐसा कार्य किया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा० अमिता दुबे, निदेशक, हिन्दी संस्थान लखनऊ ने कहा कि आजकल किताबों की भीड़ में प्रो0 मुकेश सिंह की पुस्तक अलग है जो विषय और व्याकरण की दृष्टि से पूर्ण है। इस पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने की पूरी क्षमता है। विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय बन्जारा समाज के पूर्व उपाध्यक्ष श्री सतीश बन्जारा ने प्रो० मुकेश के योगदान को अतुलनीय बताया। उन्होंने कहा कि बन्जारा समाज के ऊपर ऐसी अनौखी पुस्तक लिखकर डा० मुकेश कुमार सिंह जी ने पूरे बन्जारा समाज को अपना बना लिया है। बन्जारा समाज के अखिल भारतीय कार्यक्रमों में उनको सम्मानित किया जायेगा। विशिष्ट अतिथि लखनऊ से पधारी प्रसिद्ध सिने एवं लोक गायिका डा० रंजना अग्रहरि, ने बताया कि वे पहले भी प्रो० मुकेश सिंह के कई गीत गा चुकीं हैं जो सभी बहुत लोकप्रिय हुए। ‘बन्जारा' का प्रत्येक छन्द अद्वितीय है इसमें देशप्रेम तथा सूफीनामा भरा पड़ा है। विशिष्ट अतिथि डा० सुरेश अवस्थी ने कहा कि मैंने लगभग आधी दुनियाँ घूमी है परन्तु हिन्दी में एक ही विषय पर 234 तांटक छन्दों की पुस्तक मैंने नहीं देखी। डा० हरिवंश राय बच्चन साहब ने 1935 में 137 तांटक छन्दों की पुस्तक मधुशाला लिखी थी उसके बाद ऐसी पुस्तक नहीं आयी। डा० सुरेश अवस्थी ने पुस्तक को अद्वितीय बताया और कहा कि इसे पाठ्यक्रम में शामिल कराने का प्रयास करेंगे जिससे आने वाली पीढ़ियाँ बन्जारा संस्कृति को समझ सकें, और उनके त्याग तपस्या तथा देश-प्रेम को समझ सकें। डा० अन्सार कम्बरी ने कहा कि जिस प्रकार प्रो० मुकेश हिन्दी पद्य में ठोस कार्य कर रहें है उनकी कलम से कई और कालजयी पुस्तकें आयेंगी जो हिन्दी साहित्य में वर्षों तक याद रखी जायेंगीं। विषय प्रवर्तन ओवीए अध्यक्ष श्री जी पी मिश्रा ने किया। प्रस्तावना आई ई आई सचिव रमाकान्त यादव ने रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री श्याम सुन्दर निगम ने की। उन्होंने बताया कि प्रो० मुकेश हिन्दी साहित्य में अपनी अलग पहचान बना रहें है। जो मंचों के माध्यम से सम्भव नहीं है। वरिष्ठ गीतकार श्री जय राम सिंह जय कहा कि बन्जारा अपने पाठक वर्ग में महत्वपूर्ण स्थान बनाने की पूर्ण क्षमता रखती है। विशिष्ट अतिथि डा० प्रदीप दीक्षित ने कहा कि विभिन्न ऐतिहासिक तथ्यों को छन्दबद्ध किये जाने के कारण पुस्तक का विशेष महत्व हो गया है। पूरी पुस्तक बन्जारा समाज के गौरव तथा संस्कृति को सरल साहित्यक भाषा में प्रस्तुत करती है। चूँकि लेखक गज़ल भी लिखते है इसलिये छन्दों में बहर का भी ध्यान रखा गया है। पूरी पुस्तक में लेखक की शोध दृष्टि बहुत प्रभावी रही है। श्री लोकेश शुक्ल ने कहा कि इस पुस्तक में देश–प्रेम पूर्ण बन्जारा संस्कृति को समायोजित किया है। इस अवसर पर शहर के साहित्यकार और शिक्षक भारी मात्रा में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन इन्सटीट्यूशन ऑफ इन्जीनियर्स ओल्ड वायज ऐसोसियेशन जीसीटीआई ने किया। इस अवसर पर डा० अन्निका सिंह, प्रद्युम्न सिंह, एस के राजपूत, डा० आई पी मिश्र, अल्का अली, सीमा शुक्ला आदि उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि प्रो० गोपाल दीक्षित ने बताया कि 'बन्जारा' साहित्य की उच्च श्रेणी में रखी जाने वाली पुस्तक है जिसे कई सदियों तक याद किया जायेगा। धन्यवाद प्रस्ताव ओवीए के प्रो० गोपाल दीक्षित ने किया।
 
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