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प्रेम संबंध में असफलता : एक अनुभव और सीख- डॉ० दीप्ति तिवारी

प्रेम संबंध में असफलता : एक अनुभव और सीख- डॉ० दीप्ति तिवारी

प्रेम एक अद्भुत भावना है, जो व्यक्ति के जीवन को खुशी और आनंद से भर देती है। यह प्रेम किन्ही भी दो व्यक्तियों के बीच में हो सकता है और हर स्थिति में यह प्रेमपूर्ण सम्बन्ध व्यक्ति के जीवन को, और उसकी मनःस्थिति को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इसके विपरीत जब भी इस तरह के संबंधों में दूरियाँ आने लगती हैं, या फिर यह सम्बन्ध टूट जाता है तो यह उस व्यक्ति के लिए दुख, अकेलापन और निराशा का कारण बन सकता है।

प्रेम एक अद्भुत भावना है, जो व्यक्ति के जीवन को खुशी और आनंद से भर देती है। यह प्रेम किन्ही भी दो व्यक्तियों के बीच में हो सकता है और हर स्थिति में यह प्रेमपूर्ण सम्बन्ध व्यक्ति के जीवन को, और उसकी मनःस्थिति को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इसके विपरीत जब भी इस तरह के संबंधों में दूरियाँ आने लगती हैं, या फिर यह सम्बन्ध टूट जाता है तो यह उस व्यक्ति के लिए दुख, अकेलापन और निराशा का कारण बन सकता है। प्रेम संबंध में असफलता न केवल दिल को दुखी करता है, बल्कि यह जीवन के प्रति दृष्टिकोण को भी बदल देता है। किन्तु यह भी सच है कि लगभग हर एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कभी न कभी, प्रेम-सम्बन्ध (या प्रेमपूर्ण सम्बन्ध) में धोखा खाना ही पड़ जाता है और इसकी पीड़ा उसके मन में हमेशा बनी रहती है। इस पीड़ा और दुःख से उबरने के लिए ज़रूरी है कि हमें इन रिश्तों के आधार का, हमारे जीवन में उसके स्थान का, और उसके असफल होने के कारणों का उचित ज्ञान हो।

सब से पहले हम ये जानते हैं की रिश्तों का आधार क्या होता है। हम सभी जानते हैं की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह समूह में रहना पसंद करता है और इसी में सहज रहता है। जाहिर है की समूह में वह अन्य लोगों से सम्बन्ध स्थापित करता है और इन समबन्धों से उसको कुछ फायदे होते हैं। उदहारण के तौर पर - हम संबंधों से ख़ुशी, प्रेम, देखभाल, सुरक्षा की भावना, सामाजिक मान-प्रतिष्ठा, आत्मिक सुख का एहसास प्राप्त होता है। इस सब के अलावा कई बार हम किसी स्वार्थ पूर्ती के लिए भी सम्बन्ध स्थापित करते हैं। किसी सम्बन्ध से हम जो भी पा रहे हों, हमें उसके बदले में भी कुछ न कुछ देना ही पड़ता है जैसे की प्रेम, इज़्ज़त, देखभाल, सेवा इत्यादि, या फिर जो भी उस व्यक्ति की हमसे अपेक्षा हो। अर्थात हर सम्बन्ध में कुछ देना होता है और कुछ मिलता भी है।

रिश्तों के आधार को समझने के बाद अब हम चर्चा करते हैं असफल प्रेम संबंधों के पीछे के कारणों की। आमतौर पर संबंधों  के असफल होने के प्रमुख कारण निम्न होते हैं-
1. आपसी समझ की कमी- यदि दोनों व्यक्तियों के बीच विचार और दृष्टिकोण मेल नहीं खाते, और दोनों व्यक्ति सिर्फ अपने को ही सही मानते हैं तो यह असहमति का कारण बनता है।
2. भरोसे की कमी - प्रेम संबंध का आधार विश्वास है। यदि किसी कारणवश यह विश्वास टूटता है, या दोनों में से कोई एक व्यक्ति (या दोनों ही) खुद को छला हुआ या ठगा हुआ महसूस करने लग जाता है तो संबंध कमजोर हो जाता है।
3. समर्पण और संतुलन की कमी- एक सफल प्रेम संबंध के लिए दोनों पक्षों का समान प्रयास और समर्पण आवश्यक है।
4. अहंकार और आत्मकेंद्रित स्वभाव- यदि दोनों व्यक्ति केवल अपनी बातों पर जोर देते हैं और सामन वाले व्यक्ति को सुनने और समझने का प्रयास नहीं करते हैं तो यह संबंध में दरार डाल सकता है।

जब भी कोई व्यक्ति ऐसे असफल प्रेम सम्बन्ध में होता है तो वह तनाव, चिंता, अवसाद और आत्मविश्वास की कमी से ग्रस्त हो जाता है। साथ ही उसका शारीरिक स्वास्थ्य भी ख़राब होने लगता है। या फिर वह इस सम्बन्ध को पूरी तरह से तोड़ देता है और फिर वह अकेलेपन का शिकार हो जाता है और उसे लगता है कि जीवन में आगे बढ़ना कठिन है। ऐसे में यह आवश्यक है की व्यक्ति अपनी सोच को सकारात्मक बनाये और जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करे। इस सन्दर्भ में कुछ सुझाव निम्न हैं-
1. अपनी दिनचर्या को नियमित रखें- इस से आप नकारात्मकता से जल्दी बहार निकल पाएंगे।
2. लोगों से मिलते जुलते रहें- यह आपकी सोच को नए आयाम देगा और नकारात्मकता के चक्रव्यूह से बहार निकलने में आपकी मदद करेगा ।
3. अपने को खुश करने के लिए कुछ न कुछ रोज़ाना करें। धीरे धीरे आपकी ख़ुशी अवश्य वापस लौट आएगी।
4. अपने शरीर और मन, दोनों का ख्याल रखें। आपकी मानसिक और शारीरिक ताकत ही आपको जीवन में आगे ले जाएगी। योग, ध्यान, प्रकृति की सान्निध्यता, स्थान का परिवर्तन, सुन्दर जगहों का भ्रमण, कलात्मक व् सृजनात्मक कार्यों में रूचि लेना, किसी पसंद के खेल में रूचि लेना, नृत्य, गायन या वादन में रूचि लेना इत्यादि कुछ ऐसे कार्य हैं जो आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
5. जो हुआ उसको कुदरत की मंशा और जीवन की एक अप्रिय घटना समझ कर स्वीकार करें। एक दूसरे को दोष देने या बदला लेने की भावना को मन में न आने दें। इस तरह के नकारात्मक विचार आपके अपने लिए कष्टकारी होते हैं क्यूंकि इस सोच के साथ सबसे पहले आप स्वयं ही चैन से नहीं रह पाते हैं।
6. अपनी भावनाओं को व्यक्त कर के अपने मन को हल्का कर लें। भावनात्मक बोझ के साथ जीवन जीना सरल नहीं होता है। इसके लिए आप किसी से बातचीत का सहारा ले सकते हैं या फिर मन की बात लिख कर भी मन को हल्का कर सकते हैं।
 7. इन सब तरीकों को अपनाने के बाद भी अगर आप सहज नहीं महसूस करते हैं तो आपको किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सहायता लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।
 
अंत में हमें यह समझना होगा असफल प्रेम संबंध जीवन का अंत नहीं है, बल्कि यह एक नया अध्याय शुरू करने का अवसर हो सकता है। यह अनुभव हमें जीवन और संबंधों के बारे में गहरी समझ प्रदान करता है। यह अनुभव हमें सिखाता है कि सच्चे प्रेम को समझने और पाने के लिए धैर्य और सही दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। 
 
याद रखें, जीवन हमेशा आगे बढ़ने का नाम है, और हर असफलता के बाद सफलता की एक नई कहानी लिखी जा सकती है।
 
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रचनाकार परिचय

दीप्ति तिवारी

ईमेल : deptitew@gmail.com

निवास : कानपुर(उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ० दीप्ति तिवारी 
जन्मतिथि- 30 सितंबर 1972 
जन्मस्थान- कानपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम बी बी एस, एम ए (मनोविज्ञान),डिप्लोमा ( मेंटल हेल्थ), पी जी  डिप्लोमा(काउंसलिंग एंड बिहैवियर मैनेजमेंट), पी जी डिप्लोमा(चाइल्ड साइकोलजी), पी जी डिप्लोमा(लर्निंग डिसबिलिटी मैनेजमेंट)
संप्रति- फैमिली फिजीशियन एंड काउन्सलर, डायरेक्टर, संकल्प स्पेशल स्कूल, मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट, जी टी बी हॉस्पिटल प्रा. लि. 
प्रकाशन- learning Disability: An Overview 
संपर्क- फ्लैट न. 101 , कीर्ति समृद्धि अपार्टमेंट, 120/806, लाजपत नगर, कानपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाईल- 9956079347