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निशा राय के गीत

निशा राय के गीत

कठिन निर्णय कई हृद के द्वार की साँकल बजाते
किंतु ममता से बँधे ये पाँव दुविधा में फँसे थे।
मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तत्पर खड़ी थी
किंतु गौतम तुम दबे पाँवों से आगे बढ़ चले थे।

गीत- एक 

मन की अमराई में,
मंजरियाँ आईं हैं,
कौन दे गया इसे बसंत,
जियरा पछुआ बन डोले।

फागुन सी बौराईं ,
सावन सी हरियाईं,
सपनीली अँखियाँ ये,
क्यूँ आखिर पगलाईं,

अभिलाषाएँ हुईं पतंग,
 जियरा पछुआ बन डोले।

गेंहूँ सी लहरातीं,
सरसों सी फूलीं हैं ,
अरहर की डाली पर,
जुगनूँ सी झूली हैं ,

बस में नहीं मेरे उमंग,
जियरा पछुआ बन डोले।

नवकी दुल्हनिया के
चूनर सी चमके है ,
अम्मा के माथे की
बिंदिया सी दमके है,
नन्हीं तितली बनी विहंग,
जियरा पछुआ बन डोले।।

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गीत- दो 

साँझ का दीपक जला कर
प्रात दिनकर को जगा कर
आरती में वंदना में
प्रार्थना में अर्चना में
नाम से तेरे सभी मन्नत के धागे बाँधती हूँ
मैं तुम्हारी कामना की पूर्णता को माँगती हूँ

स्वप्न में या जागरण में
भाव में या व्याकरण में
स्वाँस के आरोह या
अवरोह में, हर एक क्षण में
चित्र बुनती हूँ प्रणय के औ' हृदय में टाँकती हूँ
मैं तुम्हारी कामना की पूर्णता को माँगती हूँ

चाहती हूँ तूलिका बन
भाग्य के उस कैनवस पर
रंग भर दूँ मैं सुनहरा
और लिख दूँ नेह कोहबर
यज्ञ की समिधा बनी मैं मंत्र सारे बाँचती हूँ
मैं तुम्हारी कामना की पूर्णता को माँगती हूँ।

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गीत-तीन (यशोधरा)

मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तत्पर खड़ी थी
किंतु गौतम तुम दबे पाँवों से आगे बढ़ चले थे l

चाहती थी छोड़ कर घर बार मैं वनवास ले लूँ
ढूँढ लाऊँ आपको या स्वयं ही
सन्यास ले लूँ

कठिन निर्णय कई हृद के द्वार की साँकल बजाते
किंतु ममता से बँधे ये पाँव दुविधा में फँसे थे।
मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तत्पर खड़ी थी
किंतु गौतम तुम दबे पाँवों से आगे बढ़ चले थे।

कितनी बारी सास ननदें बोलती थीं व्यंग्य बोली
कितनी बारी द्वार से वापस गई पीहर की डोली

किस तरह कहती कि फट जाए ये धरती, गगन टूटे
मेरे आँचल के तले युवराज भावी पल रहे थे।
मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तत्पर खड़ी थी
किंतु गौतम तुम दबे पाँवों से आगे बढ़ चले थे।

नैन में सौ प्रश्न ले कर पुत्र सम्मुख ही खड़ा था
हैं पिता मेरे कहाँ,हैं कौन? वो जिद पर अड़ा था

चाहती थी कह दूँ कायर पर ये मुझसे हो न पाया
और तुम उस दिन से दुनिया के लिए भगवन हुए थे।
मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तत्पर खड़ी थी
किंतु गौतम तुम दबे पाँवों से आगे बढ़ चले थे।

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गीत- चार 

पुरवइया से कह दो थोड़ा धीरे-धीरे आए
गौरैया के पंख मुलायम धीरे से सहलाए।

इक गौरैया दुल्हनिया सी-
इठलाए ,इतराए
दूजी भोली फुदक-फुदक के
ताके और लजाए
गर्भवती है एक चिरइया ठौर नहीं मिलता है
एक चिरइया के चूजों को कौर नहीं मिलता है

झुलसे- झुलसे पंखों पर ममता से हाथ फिराए
पुरवइया से कह दो थोड़ा धीरे-धीरे आए।

इन से पूछो भूख है क्या ,क्या प्यास कि है परिभाषा
दूर-दूर तक उड़ने पर भी लगती हाथ निराशा
बाग कट गये कटे बगीचे, सूख गयी फुलवारी
गुलदस्तों में फूल सजे हैं , सूनी-सूनी क्यारी।

गमलों के बरगद,पीपल पर कैसे नीड़ बनाए?
पुरवइया से कह दो थोड़ा धीरे-धीरे आए।

वहीं एक दादी गौरैया इधर उधर तकती है
आते जाते हर पंछी की खोज ख़बर रखती है
दूर देश जो गये परिंदे क्या इक दिन आएंगे
चिउड़ा चावल सरसों के दाने मिलजुल खाएंगे

आशाओं के दीप नयन में देखो बुझ ना जाएं
पुरवइया से कह दो..

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गीत- पाँच 

"मी टू"
चम्पा मजूरन ने फुलवा आ बिमली से,
महरी की बेटी ने पूछा ये कमली से,
रेडियो आ टीवी जो दिनभर सुनावत है
तुमका पता है, का मी टू कहावत है?

दलमुटवा कीनत के बनिया ने छूआ था,
का बोलें ए बिमली कइसन दो हूआ था ।
घंटन ले मनवा ई धड़धड़ धड़ धड़का था,
तब से दोकानी पर जाने से हड़का था ।

उड़ती चिरइया को भुंईया गिरावत है ,
उहे चम्पा बहिनी मी टू कहावत है ।

गँउआ के डाग्डर ने सूई लगावत में ,
कॉलेज के टीचर ने टीसन पढ़ावत में ,
रोपनी व सोहनी में ,कटनी व पिटनी में
माटी गिरावत में, ईंटा उठावत में ।

हमका आ तुमका जो दिन भर सतावत है,
उहे चम्पा बहिनी मी टू कहावत है ।

टाइम कुटाइम जौन अंकल घर आवत है।
बिटिया बिटिया कहि जे गोदी बैठावत है।
टाफी बिस्कुट देहला खातिर बुलावत है।
कपड़ा में झांकत आ देहिया सहरावत है।

अम्मा के लागेला अंकल खेलावत है
उहे का फुलवा रे मी टू कहावत है?

नवका सेकरेट्री ,पुरनका परधनवा रे
कनवा विडियूआ दबा गईलस धनवा रे
पेंशन के लाथे उलझावत हैं बतिया में
झलकत है दुखवा रे माई की अँखिया में

बचवन के मुंह देख सब कुछ बिसरावत है
उहे का फुलवा रे मी टू कहावत है

श्री हरि के हाथों जो वृंदा ठगान रही
इंदर से छली जो अहिल्या पथरान रही
भरले सभा बीचे खींचे थे सारी रे
पापी दुर्जोधन, दुशासन बेभिचारी रे

धरती है तब से जो होते चलि आवत है
उहे का कमली रे मी टू कहावत है।

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रचनाकार परिचय

निशा राय

ईमेल :

निवास : कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि- 11 जनवरी, 1985 
जन्मस्थान- जिला कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
शिक्षा- गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र विषय में स्नातकोत्तर (स्वर्ण पदक) ,बीएड
वर्तमान में बेसिक शिक्षा परिषद गोरखपुर में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं।
रचना कर्म
लेखन विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल,आलेख व कहानी। ।
प्रकाशन- वागर्थ ,सोचविचार ,पाती ,गम्भीर समाचार, मैना, भोजपुरी पंचायत, भोजपुरी साहित्य सरिता, सर्वभाषा ट्रस्ट सहित विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। ।