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नीलिमा शर्मा 'निविया' की लघुकथाएँ

नीलिमा शर्मा 'निविया' की लघुकथाएँ

अपने बापू को भेज, मेरी माँ पे चादर डाल दे। उन दोनों का ‎बुढ़ापा‬ भी कटेगा और थारे घर गर्म रोटी भी पकेगी। और मैं भी आ जाऊँगी, थारे घर, थारी
बहन बनके।

एक- दर्द के हिस्से अपने अपने

निशा की आँखें दर्द कर रही थीं। कई दिनों से जलन हो रही थी। बस हर बार खुद का ख्याल न रखने की आदत और हर बार अपना ही इलाज टाल जाना उसकी आदतों में शुमार हो गया था। सुनील आज ज़बरदस्ती उसको दृष्टि क्लिनिक ले ही गए।
सामने कतार लगी थी। इतने लोग अपनी आँखें टेस्ट करने आये हैं, सोच कर निशा को हैरानी हुई। अपना नंबर आने पर भीतर गयी और डाक्टर की बताई जगह पर चुपचाप बैठ गयी। आँखें टेस्ट करते हुए डाक्टर की आँखों में खिंच आई चिंता की लकीरों को निशा ने बखूबी पढ़ लिया था। स्ट्रेस जाँचा जा रहा था उसकी आँखों में कई अलग-अलग मशीनों पर। सुनील परामर्श शुल्क चुका रहे थे अलग-अलग काउंटर पर और निशा अलग-अलग मशीन पर जाकर आँखे दिखा रही थी। मन चुप था, कुछ कह पाने में असमर्थ सा।
आखिरकार तीन घंटे के बाद डाक्टर ने अंदर बुलाया और कहा, “देखिये, सुनील जी… आपकी पत्नी की आँखों में काले मोतिया बिंद की शुरूवात है। अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। यह दवा डालिए और तीन माह बाद फिर से चेक-अप के लिय आइये। बस दोनों वापिस लौटे।
दोनों गम में थे, अपनी-अपनी सोच की परिधि में, कि इलाज का खर्च कितना आएगा, घर कौन सम्हालेगा। मुझसे कैसे सम्हाला जाएगा घर, निशा की सोच थी। क्या मेरी आँखें ठीक हो पाएँगी? वैसे ही मैं अकेली हूँ मन से और अब…? क्या सुनील मेरा ख्याल रखेगा? जिसने उम्र भर कभी पानी तक न पिया अपने हाथ से, क्या अब उसका ख्याल करेगा?
बस अपनी गति से चल रही थी, और उन दोनों का मन अपनी गति से। और उदास था दोनों के मन का अपना-अपना कोना।

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दो- बोल भी इब

सुनसान भोपा रोड पर एक लड़के ने हाथ से लड़की की चलती सायकिल रोक ली-
ऐ छोरी, माण ले म्हारी बात।

एक भी लुगाई ना मेरे घर में। माँ को गुजरे एक बरस हो लिया।
तेरे आने से उजाला हो जावेगा। रोटी भी गरम मिलन लगेगी सबको।

तन्ने सब सुख दूँगा, कपड़ा गहना सब। यो मत समझ कि मैं आवारा छोरा और तेरे पीछे प्रेम की खातिर भाग रा, मेरे तो इब्बी पढऩे के दिन।

बस बापू, भाई को रोटी मिलती रवे टेम से तो मैं बेफिक्र होके सहर जाऊँ पढऩे, बोल भी इब?
तो सुन मेरी भी बात, मेरे बापू‬ को मरे पाँच साल हो लिए।

अपने बापू को भेज, मेरी माँ पे चादर डाल दे। उन दोनों का ‎बुढ़ापा‬ भी कटेगा और थारे घर गर्म रोटी भी पकेगी। और मैं भी आ जाऊँगी, थारे घर, थारी
बहन बनके।

राखी पर दे दियो, यो कपडे गहने सब, बोल भी इब!”
सुनसान सड़क पर अब लड़की अकेली खड़ी थी।

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2 Total Review

डॉ मधु प्रधान

13 June 2025

अच्छी लघुकथा लड़की का उत्तर सराहनीय

डॉ सुषमा त्रिपाठी

17 May 2025

अब बोल बी इब ---बढ़िया,जानदार,शानदार,प्रभावी लघुकथा बधाई

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रचनाकार परिचय

नीलिमा शर्मा निविया

ईमेल :

निवास : दिल्ली

नीलिमा शर्मा का जन्म 26 सितंबर को मुज़फ़्फ़र नगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। नीलिमा विवाह पश्चात देहरादून निवासी रही। वर्तमान में दिल्ली निवासी नीलिमा ने एम.ए.(अर्थशास्त्र) एवं बी.एड. ,बी.टी.सी तक शिक्षा ग्रहण की है।

उनका एकल कहानी संग्रह "कोई खुशबू उदास करती है " प्रकाशक शिवना प्रकाशन से प्रकाशित
कविता संग्रह"शनिवार के इंतज़ार में" शिवना से प्रकाशित
लघुकथा संग्रह "सुबह की चाय"शीघ्र प्रकाश्य
कहानी संग्रह "देह दिल्ली दिल देहरादून"शीघ्र प्रकाश्य

संपादन-

:- हिंदी साहित्य के प्रथम डिजिटल साझा उपन्यास 'आईना सच नही बोलता' की अवधारणा, संयोजन संपादन सहलेखन भी किया है जो कि www.matrubharati.com पर उपलब्ध है। जो शीघ्र ही प्रिंट में भी प्रकाश्य होगा ।
:- 'मूड्स ऑफ लॉकडाउन' नाम से एक वेबपुस्तक का सहसंपादन ओर सहलेखन जो matrubharti.com पर उपलब्ध है ।
:- मुट्ठी भर अक्षर (लघुकथा संकलन) (हिन्दयुग्म से प्रकाशित ) लेखन और सम्पादन
:- खुसरो दरिया प्रेम का ( स्त्री मन की प्रेम कहानियाँ) वनिका प्रकाशन,( लेखन और संपादन)
:- मृगतृष्णा( रिश्तों के तिलिस्म की कहानियाँ)।वनिका प्रकाशन(लेखन और संपादन)
:-लुकाछिपी ( कहानियों में छिपा बालमन ) शिल्पायन प्रकाशन(लेखन और सम्पादन)
:-हाशिये का हक़ (साझा उपन्यास) लेखन और संपादन
:-मन पिंजरा तन बांवरा (साझा कहानी सँग्रह)लेखन सहसम्पादन(शीघ्र प्रकाश्य वनिका प्रकाशन
:-पुरवाई कथा माला(पुरवाई में प्रकाशित कहानियों का संग्रह) (शीघ्र प्रकाश्य) इंडिया नेट बुक्स

नीलिमा शर्मा की कविताएं 25 से अधिक संकलनों और प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में सम्मिलित की जा चुकी हैं। उनकी लघुकथाएं भी 20 से अधिक संकलनों /पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। कहानीकार के तौर पर भी नीलिमा शर्मा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनकी कहानियाँ/कविताएँ /लघुकथाएँ प्रकाशित हुई है। यू टयूब पर उनकी लघुकथाओं /कहानियों को सुना जा सकता है ।उनकी कहानी बदहवास का उर्दू अनुवाद पाकिस्तान के अखबार में प्रकाशित हुआ था । *उनकी कहानी टुकड़ा टुकड़ा जिंदगी का अनुवाद पंजाबी उर्दू के साथ जापानी भाषा मे भी किया गया , जापानी अनुवाद टोक्यो विश्वविद्यालय की पत्रिका में शामिल किया गया है । उधार प्रेम की कैंची है कहानी का उर्दू अनुवाद पाकिस्तान की पत्रिका में प्रकाशन हेतु स्वीकृत, आल इंडिया रेडियो दिल्ली में कविता पाठ।

सम्मान-
:- प्रतिलिपि कथा सम्मान 2015 में उनकी कहानी को बेस्ट 20 कहानियों में स्थान प्राप्त हुआ था ।
:- मातृभारती'साहित्य के उभरते सितारे'सम्मान 2016
:- लघुकथाओं के लिए आचार्य रत्नलाल विद्यानुग स्मृति लघुकथा प्रतियोगिता सम्मान 2017
:-ओ बी ओ 'साहित्य रत्न' 2017
:-मेरठ लिट् फेस्ट 2018 में 'साहित्यश्री सम्मान "प्राप्त
:- इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल में सम्मानित
:- साहित्य समर्थ कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता ( प्रशंसनीय कहानी )पुरस्कार 2019
:-राधा अवधेश स्मृति कथा पुरस्कार (कोई ख़ुशबू उदास करती है कहानी संग्रह के लिए)
:- रामदेवी वागेश्वरी सम्मान (कहानी संग्रह कोई ख़ुशबू उदास करती है के लिए )
:- कुमुद टिक्कू साहित्य समर्थ कहानी प्रतियोगिता 2023 द्वितीय पुरस्कार
:- पृथ्वीभान टिक्कू स्मृति सम्मान में उपन्यास "हाशिये का हक़" को 11 हजार का सम्मान
:- दो वर्ष तक मातृभारती.कॉम की हिंदी संपादक
:- वर्तमान समय में पुरवाई ई पत्रिका की उपसंपादक।