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मनोज शुक्ल 'मनुज' के छन्द

मनोज शुक्ल 'मनुज' के छन्द

त्याग की है नींव प्रेम,ज्ञान से भी श्रेष्ठ प्रेम,
प्रेम बांधता है देव, दनुज को नर को।
वासना से मुक्त प्रेम,जीव की है शक्ति प्रेम,
प्रेम दूर करता है, मन के भी डर को।

ज्ञान, धन ,रूप,यश प्रेम के समक्ष गौण,
ईश भक्ति में भी प्रेम ही अमूल्य तत्व है।
प्रेम से विहीन व्यक्ति अनुरक्ति से विमुक्त,
प्रेम सत्य सुंदर है जीवन का सत्व है।
दंभ से बचाता, द्वंद्व- फंद से हटाता प्रेम,
प्रेम भक्ति ,प्रेम नेह प्रेम ही ममत्व है।
प्रेम का अमिय नहीं मिलता है देव को भी,
जिसे मिलता है वर लेता अमरत्व है।


त्याग की है नींव प्रेम,ज्ञान से भी श्रेष्ठ प्रेम,
प्रेम बांधता है देव, दनुज को नर को।
वासना से मुक्त प्रेम,जीव की है शक्ति प्रेम,
प्रेम दूर करता है, मन के भी डर को।
भूखे प्रेम के हैं ईश,उर की मिटाता टीस,
सुख से है भर देता,प्रेम घर - घर को।
आरत न होता प्रेम, हारता नहीं है प्रेम,
कामना यही है प्रेम ,छू ले हर दर को।


प्रेम का प्रतीक पान प्रेम विजया का गान,
प्रेम भंग गोले जैसा थोड़ा थोड़ा गीला है।
प्रेम मदहोशी गांजा से,अफीम से भी तीव्र,
कौन जान पाता इसे कैसी यह लीला है।
प्रेम हैं अनंत भक्ति का नशा भी कम लगे,
प्रेम रंगहीन श्वेत, कभी नीला पीला है।
हाला से भी आला प्रेम सच मतवाला प्रेम,
प्रेम श्वेतदंडिका से अधिक नशीला है।


चिंतन में जिनके कुमुद सा है प्रेम पंथ,
वंचना में रति की सुमति खिल जाएगी।
महकेगा गात पारिजात मन चहकेगा,
भौतिक सुखों की अनुभूति मिल जाएगी।
अविराम देख दिवास्वप्न काटते दिवस,
आयी तरुणाई गल तिल -तिल जाएगी।
भवनिधि के कलुष,अनृत के अंधड़ में,
त्यागहीन प्रेम प्रतिमा भी हिल जाएगी।


चिंतन स्वरूप को परिष्कृत करे ये प्रेम,
मानवीय मूल्य नित्य गहना सिखाता है।
दृष्टि मिलती नवीन दिव्य चेतना ललाम,
प्रेम कालिमा में भी उजास भर लाता है।
टीस हर लेता पाप काटता है जीवन के,
दुर्निवार पीर नद पार कर जाता है।
वैभव अभाव में दे,क्षण क्षण में प्रमाद,
प्रेम नर जीवन को पावन बनाता है।

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1 Total Review

डॉ मधु प्रधान

13 June 2025

बहुत अच्छे छन्द

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रचनाकार परिचय

मनोज शुक्ल 'मनुज'

ईमेल : gola_manuj@yahoo.in

निवास : लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि- 04 अगस्त, 1971
जन्मस्थान- लखीमपुर-खीरी
शिक्षा- एम० कॉम०, बी०एड
सम्प्रति- लोक सेवक
प्रकाशित कृतियाँ- मैंने जीवन पृष्ठ टटोले, मन शिवाला हो गया (गीत संग्रह)
संपादन- सिसृक्षा (ओ०बी०ओ० समूह की वार्षिकी) व शब्द मञ्जरी(काव्य संकलन)
सम्मान- राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही' पुरस्कार
नगर पालिका परिषद गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत सम्मान
भारत-भूषण स्मृति सारस्वत सम्मान
अंतर्ज्योति सेवा संस्थान द्वारा वाणी पुत्र सम्मान
राष्ट्रकवि वंशीधर शुक्ल स्मारक एवं साहित्यिक प्रकाशन समिति, मन्योरा-खीरी द्वारा राजकवि रामभरोसे लाल पंकज सम्मान
संस्कार भारती गोला गोकरन नाथ द्वारा साहित्य सम्मान
श्री राघव परिवार गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत साधना के लिए सम्मान
आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह द्वारा सम्मान
काव्या समूह द्वारा शारदेय रत्न सम्मान
उजास, कानपुर द्वारा सम्मान
यू०पी०एग्री०डिपा०मिनि० एसोसिएशन द्वारा साहित्य सेवा सम्मान व अन्य सम्मान
उड़ान साहित्यिक समूह द्वारा साहित्य रत्न सम्मान
प्रसारण- आकाशवाणी व दूरदर्शन से काव्य पाठ, कवि सम्मेलनों व अन्य साहित्यिक कार्यक्रमों में सहभागिता
निवास- जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ (उ०प्र०)
मोबाइल- 6387863251