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शिखरानी की कविताएँ

शिखरानी की कविताएँ

बाँहों में बाँहों का बंधन
कुछ इस तरह बँध जाए
जैसे मोती और धागा
मिलकर हो जाते माला

एक- दिल से दिल माँगता है

दिल से दिल माँगता है
कहता है मिल जाएँ हम
गीत और सरगम की तरह
आँखों से आँखे इस तरह मिलें
जैसे दो रंग
एक हो जाते हैं मिलकर

बाँहों में बाँहों का बंधन
कुछ इस तरह बँध जाए
जैसे मोती और धागा
मिलकर हो जाते माला

साँसों से साँसों का बंधन
जीवन भर के लिए
कुछ यूँ बँध जाए
जैसे जिस्म और रूह एक हो जाए

दिल से दिल माँगता है

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दो- मेरी धड़कन

मेरे दिल-धड़कनों में तुम हो बसे हुए
हाथों की मेंहदी में जैसे रचे हुए
तुम ही थे जो चैन सकूं सब लूट गए
दिल तड़पा इस कदर कि हम टूट से गए

कहने को हम अपने थे पर कहाँ रह सके
जो कहना था तुमसे वह कहाँ कह सके

कब बस गए धड़कन में हम जान न सके
तुम ख़्वाब थे, हकीकत थे, पहचान न सके

आँखों के काजल को आँसू में बहा दिया
तेरे लिए अपना चैन-क़रार को मिटा दिया

मेरे दिल-धड़कनों में तुम हो बसे हुए।


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रचनाकार परिचय

शिखारानी

ईमेल : 291shikhashikha@gmail.com

निवास : सुल्तानपुर (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि- 07 अप्रैल, 1983  
जन्मस्थान- लखनऊ (उ.प्र.)
लेखन विधा- कविता,कहानी,नाटक, शोधपत्र, आलेख, समीक्षा अदि
शिक्षा- एम.ए.(संस्कृत),/बी.एड./एम.फिल./नेट/पीएचडी/यूपी टेट/सीटेट 
सम्प्रति- शोधछात्रा 
संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ |
प्रकाशन- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, नाटक,  शोधपत्र प्रकाशित |
सम्मान- कालेज एवं विश्वविद्यालय स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में सम्मानित
विशेष-नृत्य, संस्कृत गायन,पेंटिंग, (आधुनिक संस्कृत साहित्य में विशेष योग्यता)
संपर्क- केशवनगर लखनऊ (स्थायी पता-ग्राम-अर्जुनपुर, पोस्ट-बेलहरी, जनपद-सुल्तानपुर उ.प्र.पिन-228133)      
मोबाइल- 6386418743