Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

घुमक्कड़ बिहारी की कविताएँ

घुमक्कड़ बिहारी की कविताएँ

मैं अगर आवाज़ दूँ

मैं अगर आवाज़ दूँ
ठीक वैसे ही
जैसे कभी-कभी
आवाज़
देता है
रात का सूनापन
या
अकेली
बहती नदी का जल
या
ठीक वैसे ही
जैसे गाँव के
बूढ़े बाबा के हुक्के की गुड़गुड़ाहट
तो क्या
सुन सकोगी तुम!

कितने अलग-अलग हो गये हैं
हम दोनों
मैं ठहरा रहा
गाँव की पगडंडियों की तरह
और तुम बहते रहे
जैसे
बांध से छूटा पानी
क्या
आवाज़ सुनकर मेरी
मुड़ सकोगे तुम!

मैं अगर आवाज दूँ
तो क्या
सुन सकोगे तुम!

************

 

रिश्ता

देखी है कभी
पहाड़ियों से लिपटी सड़क
जो चलती है
साथ-साथ
नीचे बहती
नदी के
जैसे पुराना कोई
रिश्ता हो
और अगर तुमने कभी
सफ़र किया होगा
ऐसी किसी सड़क पर
तो महसूस किया होगा
कि हमेशा
नदी साथ नहीं बहती
फिर अचानक ही
किसी मोड़ पर
एकाएक
नज़र आ जाती है
वो खोई नदी
ठीक वैसे ही
जैसी तनहाई में
एकाएक
तुम्हारा याद आना।

1 Total Review
S

Sandeep

24 January 2025

Bahot badhiya likha hai Bibhash. 🙏

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

घुमक्कड़ बिहारी

ईमेल : bibhu009@gmail.com

निवास : भागलपुर (बिहार)

मूल नाम- विभाष रंजन
जन्मतिथि- 05 फरवरी, 1989
जन्मस्थान- भागलपुर (बिहार)
शिक्षा- बी० ई० (समुद्री अभियांत्रिकी)
सम्प्रति- समुद्री अभियंता
लेखन विधाएँ- कविता एवं ग़ज़ल
प्रकाशन- प्रतिष्ठित समाचार पत्र 'अमर उजाला' में रचनाएँ प्रकाशित।
पता- ग्राम- बड़हरा, ज़िला- भागलपुर (बिहार)
मोबाइल- 9608867774