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डॉ. कल्पना दुबे के हाइकु

डॉ. कल्पना दुबे के हाइकु

मरघट-सी
पसर जाती शान्ति
औरत बिना।

 

घर बाहर
अच्छे से सम्हालती
सुघड़ है स्त्री।

 

पूछती आज
उत्तर नहीं कोई
क्लिष्ट प्रश्न।

 

मरघट-सी
पसर जाती शान्ति
औरत बिना।

 

प्रेम-विश्वास
मज़बूती बेजोड़
दृढ़ आधार।

 

बदली रीति
बेटी के जन्म पे भी
मंगल गीत।

 

सरगम-सा
गूँजे घर-आँगन
हंसती बेटी।

 

मिला जो पंख
अन्तरिक्ष तक में
रखा कदम।

 

बेटी के हाथ
राफेल की कमान
किससे कम।


कहलाती हैं
बेटियाँ परदेसी
पराया धन।

 

छोड़ जाते हैं
माँ-बाप ओल्डहोम
लाड़ले पुत्र।

 

अक्षर तीन
बड़ी ताक़तवर
औरत आज।


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रचनाकार परिचय

कल्पना दुबे

ईमेल : kalpnadubey574@gmail.com

निवास : गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ. कल्पना दुबे
जन्मतिथि- 15 जुलाई, 1965
जन्मस्थान- वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
लेखन विधा- कविता, कहानी, उपन्यास, हाइकु, हाइगा, हाइबुन।
शिक्षा- एम. ए., पीएच. डी.
सम्प्रति- प्रोफेसर, हिन्दी विभाग एम. एम. एच. का. गाजियाबाद।
प्रकाशन- कविता पर पुस्तक प्रकाशित, 'जीवन राग' शीर्षक से हाइकु संग्रह शीघ्र प्रकाशित।
सम्मान/पुरस्कार- साहित्य रत्न और सरस्वती सम्मान से सम्मानित।
सम्पर्क- 402, नीलकंठ रेजीडेंसी, वेस्ट माडल टाउन, निकट सम्राट होटल, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल- 9899265309