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डिमेन्शिया (Dementia)- डॉ०दीप्ति तिवारी

डिमेन्शिया (Dementia)- डॉ०दीप्ति तिवारी

डिमेंशिया या मनोभ्रंश एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति दैनिक जीवन की छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है, सामाजिक तौर-तरीक़े भूलने लगता है, उसकी सोचने-समझने की शक्ति कम होने लगती है तथा वह भावनात्मक रूप से भी कमज़ोर होता जाता है। यह अपने आप में कोई बीमारी नहीं है बल्कि उम्र के साथ मस्तिष्क के अंदर होने वाले कई प्रकार के बदलावों का लक्षण है।

डिमेंशिया या मनोभ्रंश एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति दैनिक जीवन की छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है, सामाजिक तौर-तरीक़े भूलने लगता है, उसकी सोचने-समझने की शक्ति कम होने लगती है तथा वह भावनात्मक रूप से भी कमज़ोर होता जाता है। यह अपने आप में कोई बीमारी नहीं है बल्कि उम्र के साथ मस्तिष्क के अंदर होने वाले कई प्रकार के बदलावों का लक्षण है।
बढ़ती उम्र के साथ होने वाली भूलने की समस्या मात्र को हम डिमेंशिया का नाम नहीं देते हैं। डिमेंशिया की डाइगनोसिस देने के लिए ज़रूरी है कि
1. भूलने की आदत की वजह से व्यक्ति का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा हो
2. दिमाग़ के विभिन्न कार्यों में कम से कम दो कार्य क्षेत्रों में व्यक्ति को समस्या हो रही हो जैसे कि याददाश्त, निर्णय लेने की क्षमता, प्लानिंग करने की क्षमता इत्यादि।

ऐसा भी नहीं है कि बढ़ती उम्र वाले हर व्यक्ति को डिमेंशिया की समस्या होगी ही। निम्न कारणों से इस बीमारी होने का ख़तरा बढ़ जाता है-

1) 65 वर्ष या उससे अधिक की उम्र
2) ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहना
3) अनियंत्रित डायबिटीज़
4 ) मोटापा
5) मानसिक अवसाद
6) शारीरिक निष्क्रियता
7) सिगरेट, शराब या अन्य किसी नशे की लत
8) अकेलापन या सामाजिक रूप से अलग-थलग हो जाना

डिमेंशिया के कुछ लक्षण निम्न हैं:-
1- चीजें रखकर भूल जाना या रोज़मर्रा की घटनाएँ भूल जाना
2- रास्ते भूल जाना
3- समय का अंदाज़ न लगा पाना
4- जानी पहचानी जगहों पर भी भ्रमित सा महसूस करना
5- रोज़मर्रा की समस्या सुलझाने या निर्णय लेने में अक्षमता
6- अपने में खोए रहना और मेल-जोल बंद कर देना
7- बिना कारण दुखी रहना, रोना, गुस्सा करना या बौखला जाना
8- शब्दों का अर्थ समझने में समस्या अथवा बातचीत के दौरान अनुचित, अप्रासंगिक या अनोखे शब्दों का इस्तेमाल करना


ये लक्षण धीरे-धीरे उत्पन्न होते और बढ़ते हैं और लक्षणों की तीव्रता के आधार पर डिमेंशिया की सात स्टेज बतायी गयी है जो कि निम्न हैं:-
स्टेज 1- जब दिमाग़ के अन्दर परिवर्तन शुरू हो चुका होता है लेकिन व्यवहार सामान्य होता है।
स्टेज 2- रोज़मर्रा की चीजें अक्सर भूलने लगना ।
स्टेज 3- अक्सर भूलने की वजह से दैनिक जीवन में समस्या होना ।
स्टेज 4- भूलने की वजह से व्यक्ति के अकेले घर के बाहर जाने में ख़तरा होना।
स्टेज 5- घर के अन्दर दैनिक कार्यों जैसे नहाने, कपड़े पहनने इत्यादि में सहायता की ज़रूरत होना।
स्टेज 6- दैनिक कार्यों व देखभाल के लिए 24 घण्टे दूसरों पर निर्भर होना मगर अपनी ज़रूरतों के प्रति सजग होना।
स्टेज 7- पूर्णतया दूसरों पर निर्भर हो जाना।

डिमेंशिया बढ़ती उम्र के साथ होने वाले शारीरिक परिवर्तन का एक हिस्सा है। अतः इसक कोई सटीक इलाज नहीं है। परन्तु कुछ दवाओं और जीवन-शैली में सकारात्मक परिवर्तन के द्वारा इस प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है। जिससे डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में सुधार आ सकता है। कुछ सकारात्मक परिवर्तन जिनसे डिमेंशिया के मरीजों को लाभ मिल सकता है निम्न हैं:-
1) लोगों से मिलना व बातचीत करना।
2) नियमित व्यायाम करना।
3) व्यवस्थित दिनचर्या होना।
4) स्वयं को यथोचित कार्यों में व्यस्त रखना । 6) संतुलित भोजन लेना इत्यादि ।
5) संगीत सुनना।

 

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रचनाकार परिचय

दीप्ति तिवारी

ईमेल : deptitew@gmail.com

निवास : कानपुर(उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ० दीप्ति तिवारी 
जन्मतिथि- 30 सितंबर 1972 
जन्मस्थान- कानपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम बी बी एस, एम ए (मनोविज्ञान),डिप्लोमा ( मेंटल हेल्थ), पी जी  डिप्लोमा(काउंसलिंग एंड बिहैवियर मैनेजमेंट), पी जी डिप्लोमा(चाइल्ड साइकोलजी), पी जी डिप्लोमा(लर्निंग डिसबिलिटी मैनेजमेंट)
संप्रति- फैमिली फिजीशियन एंड काउन्सलर, डायरेक्टर, संकल्प स्पेशल स्कूल, मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट, जी टी बी हॉस्पिटल प्रा. लि. 
प्रकाशन- learning Disability: An Overview 
संपर्क- फ्लैट न. 101 , कीर्ति समृद्धि अपार्टमेंट, 120/806, लाजपत नगर, कानपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाईल- 9956079347