Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

छन्द के प्रकार- मनोज शुक्ल 'मनुज'

छन्द के प्रकार- मनोज शुक्ल 'मनुज'

इस कड़ी में पढिए मनोज शुक्ल "मनुज" द्वारा बताए गए घनाक्षरी छन्द के शेष प्रकार। 

इससे पूर्व अंक में आप घनाक्षरी के चार भेदों (मनहरण घनाक्षरी,रूप घनाक्षरी, जनहरण घनाक्षरी व डमरू घनाक्षरी)के बारे में पढ़ चुके हैं। अगले चार भेद निम्नवत् हैं- 
 
5. जलहरण घनाक्षरी (32 वर्ण)- 8, 8, 8, 8 अंत में लघु-लघु होता है।
 
उदाहरण 
 
प्रेम-प्रेम  जपने से, प्रेम  कब  होता मित्र,
प्रेम यदि  करना   है, देख  सब हार कर।
 
घृणा, कटुता को तज, मन से निकाल ही दे,
सबसे ही प्रेम  वाला, मृदु  व्यवहार  कर।
 
पाने वाला भाव भूल,खोने को ही सुख मान,
वाणी पर ,क्रोध  पर, झट अधिकार  कर।
 
शिष्टता, मनुजता को, आत्मसात करना है,
झूठ को प्रवंचना को, त्याग कर प्यार कर।
 
                        मनोज शुक्ल"मनुज"
   
 
6. विजया घनाक्षरी (32 वर्ण)- 8, 8, 8, 8 अंत में लघु-गुरु या तीन लघु होते हैं।
 
उदाहरण 
 
(32 अक्षर यति 8,8,8,8 चरणान्त तीन लघु  )
 
वहीं ढीठ नंदलाल, साथ सारे ग्वाल बाल,
हँस रहे  दे दे ताल, पाप  करेंगे शमन।
 
सोच रहे कोई चाल, ताकि रहे न मलाल,
गोरी गाल लाल लाल, करें मल के नमन। 
 
अभी भी गली न दाल, बिछा रहे नया जाल,
सब हो  रहे बेहाल, सब होली में हवन।
 
करेंगे कोई कमाल जो न भूले सालों साल,
देख देख सब हाल, हँसता है ये चमन।
      
                      मनोज शुक्ल"मनुज"
 
7. कृपाण घनाक्षरी (32 वर्ण)- 8, 8, 8, 8 अंत में गुरु-लघु  तथा प्रथम तीन यतियों पर अन्त्यानुप्रास होता है।
 
उदाहरण
 
प्रेम का न कोई पंच, और न ही कोई मंच,
होता न गुमान रंच, जानता है ये जहान।
 
कोई मधुशाला नहीं, न ही कोई नशा कहीं,
रुकता  है मन वहीं, जहाँ प्रेम का मकान।
 
प्रेम का नशा महान, रहता न कुछ ध्यान,
अपनी ही एक तान, और प्रेम यशगान।
 
एक भावना सटीक, परम आनंद लीक, 
कहता  हूँ  ठीक-ठीक, प्रेम पहचान है।
 
                     मनोज शुक्ल"मनुज"
 
8. हरिहरण घनाक्षरी (32 वर्ण)- 8, 8, 8, 8 अंत में लघु-लघु होता है। अंत के ये दोनों लघु वर्ण प्रत्येक चरण में नियत रहते हैं।
 
उदाहरण
 
नाम जान लेने से तो, काम नहीं बनता है,
नाम करना  तुझे है, काम  कर काम कर।
 
आठ,आठ,आठ,आठ,सबको पता है किंतु,
 छन्द  हरिहरण है, लिख डाल  नाम  कर।
 
अंत्य में  नियत लघु दो को करना है मित्र,
बाकी आप  जानते हैं, मत तामझाम कर।
 
काम  कर  नाम  क , नाम जब गूँज उठे,
लिख लिख कह-कह, नित्य राम-राम कर।
 
                        मनोज शुक्ल "मनुज"

******************

1 Total Review

शालिनी सिन्हा

11 January 2025

ज्ञान का विस्तार करती सुन्दर भाव की रचनाएँ ! 🙏🏼

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

मनोज शुक्ल 'मनुज'

ईमेल : gola_manuj@yahoo.in

निवास : लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि- 04 अगस्त, 1971
जन्मस्थान- लखीमपुर-खीरी
शिक्षा- एम० कॉम०, बी०एड
सम्प्रति- लोक सेवक
प्रकाशित कृतियाँ- मैंने जीवन पृष्ठ टटोले, मन शिवाला हो गया (गीत संग्रह)
संपादन- सिसृक्षा (ओ०बी०ओ० समूह की वार्षिकी) व शब्द मञ्जरी(काव्य संकलन)
सम्मान- राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही' पुरस्कार
नगर पालिका परिषद गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत सम्मान
भारत-भूषण स्मृति सारस्वत सम्मान
अंतर्ज्योति सेवा संस्थान द्वारा वाणी पुत्र सम्मान
राष्ट्रकवि वंशीधर शुक्ल स्मारक एवं साहित्यिक प्रकाशन समिति, मन्योरा-खीरी द्वारा राजकवि रामभरोसे लाल पंकज सम्मान
संस्कार भारती गोला गोकरन नाथ द्वारा साहित्य सम्मान
श्री राघव परिवार गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत साधना के लिए सम्मान
आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह द्वारा सम्मान
काव्या समूह द्वारा शारदेय रत्न सम्मान
उजास, कानपुर द्वारा सम्मान
यू०पी०एग्री०डिपा०मिनि० एसोसिएशन द्वारा साहित्य सेवा सम्मान व अन्य सम्मान
उड़ान साहित्यिक समूह द्वारा साहित्य रत्न सम्मान
प्रसारण- आकाशवाणी व दूरदर्शन से काव्य पाठ, कवि सम्मेलनों व अन्य साहित्यिक कार्यक्रमों में सहभागिता
निवास- जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ (उ०प्र०)
मोबाइल- 6387863251