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छन्द में गण- मनोज शुक्ल 'मनुज'

छन्द में गण- मनोज शुक्ल 'मनुज'

मनोज शुक्ल 'मनुज' पुरस्कृत गीतकार हैं। गीतों एवं छंदों पर आपकी पकड़ अत्यंत गहरी है। आप उड़ान नामक संस्था से जुड़कर गुरुकुल चलाते हैं जिसमें छन्द विधा सिखाई जाती है। गुरुकुल द्वारा आप एक मृतप्राय होती विधा को पुनर्जीवित करने का महान कार्य कर रहे हैं। 

गण

वार्णिक छन्दों को लिखने के लिए गण ज्ञान आवश्यक है। पिंगल शास्त्र के अनुसार निम्नलिखित आठ गण होते हैं।

1.यगण 2.मगण 3.तगण 4.रगण
5.जगण। 6.भगण। 7.नगण। 8.सगण

उपर्युक्त गणों का मात्रा भार निम्नानुसार है:-

1.यमाता 122 2.मातारा 222
3.ताराज 221 4.राजभा 212
5.जभान 121 6.भानस 211
7.नसल 111 8.सलगा 112

गण सूत्र 

यमाताराजभानसलगा

य1मा2ता2रा2ज1भा2न1स1ल1गा2
ऐसे

एक अक्षर के आगे वाले 2 लेने पर उस गण का भार आ जाता है .

हिंदी के गण ही उर्दू में अर्कान होते जिनसे बह्र बनती है।

मात्रा भार
छन्द सृजन हेतु मात्रा गणना के नियमों को जान लेना आवश्यक है ।

वर्ण- वर्ण दो प्रकार के होते हैं:-
1.स्वर
2.व्यंजन
स्वर:- भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण के अंतर्गत स्वरों के दो प्रकार हैं:-

1- ह्रस्व स्वर
2- दीर्घ- स्वर

अ -ह्रस्व स्वर- ह्रस्व वर्ण के उच्चारण में लगने वालेसमय को एक मात्र माना जाता है या इस तरह भी कह सकते हैं कि हृस्व स्वर में एक मात्रा होती है।
उदाहरण-अ,इ,उ स्वर एक माात्रिक होते हैं ।
क से लेकर ह पर्यन्त व्यञ्जन भी एक मात्रिक होते हैं ।
यदि क से ह वर्ण के किसी व्यञ्जन पर अ,इ,उ की मात्रा लगती है ,तो भी उसका मात्राभार" |" ही रहता है।
क्+अ-क
क्+इ-कि
क्+उ-कु
उदाहरण -
कमल
किरण
कुसुम

ऋ स्वर यदि किसी वर्ण के प्रारम्भ में जुड़ता है ,तो उसके मात्राभार में वृद्धि नहीं होती।

उदाहरण-
सृजन -111
कृपा -12
प्रभु - 11
हृदय- 111
मृत्यु - 111

ब- दीर्घ स्वर - जब किसी वर्ण के उच्चारण में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है ,तो उसे दीर्घ स्वर कहते हैं।

उदाहरण- आ , ई, ऊ, ए, ऐ,ओ,औ,
जब किसी वर्ण पर उपर्युक्त दीर्घ स्वर की मात्रा लगती है तो उसका मात्राभार 2 हो जाता है।

उदाहरण- क्+आ-का

क्+ई - की
क्+ऊ- कू
काला - 22
सोना - 22

व्यंजन:- हिंदी वर्णमाला के क से ज्ञ तक वर्ण व्यंजन हैं।
अर्ध व्यञ्जन को एक मात्रिक माना जाता है ,किन्तु यदि अर्ध व्यञ्जन के पूर्व लघुमात्रिक वर्ण हो तो दोनों मिलकर दीर्घ मात्रिक हो जाते हैं ।
सत्य - सत्-1+1-2 य-1
21
कर्म -कर्-1+1-2 म- 1
21
यदि पूर्व का वर्ण दीर्घ मात्रिक है तो अर्ध व्यञ्जन की मात्रा लुप्त हो जाती है।

उदाहरण- आत्मा -आ/त्मा

2 2
परमात्मा- पर/मात्/मा
11 2 2
यहाँ दीर्घ आ और मा के पश्चात् आने वाला अर्ध व्यञ्जन लुप्त हो जाता है।

अपवाद- जहाँ अर्ध व्यञ्जन के पूर्व लघु वर्ण हो ,किन्तु उसपर अर्ध व्यञ्जन का भार न पड़ रहा हो ,वहाँ पूर्व का लघु वर्ण भी द्विमात्रिक नहीं होगा ।

उदाहरण- कन्हैया -क/न्है/या

आपको पता है कि सभी व्यंजन लघु होते हैं।
क कु कि कृ कँ भी लघु हैं।
यानी अ,इ,उ,ऋ,चन्द्र बिंदु व इनके संयोग से बने व्यंजन लघु होते हैं।

क्ष=क्+ष
त्र=त्+र
ज्ञ=ज्+ञ

छत्र, 21
पद्म 21
यज्ञ 21
चक्र 21
संयुक्त 221
प्रकल्प 121

यदि शब्द का कोई संयुक्ताक्षर इस तरह से हो कि संयुक्त हुए अक्षर का उच्चारण भार उक्त अक्षर पर न पड़ रहा हो तो उस अक्षर की मात्रा का भार परिवर्तित नहीं होता है।

उदाहरण-
जिन्ह में जिह और जिन्ह का उच्चारण समय बराबर यानी 11 है।
इसी तरह जिन्हें 12 व तुम्हें 12

क्ष त्र ज्ञ पर ध्यान दें
क्षरण 111
तक्षक 211
त्रिपद 111
यज्ञ 21
सत्र 21
ये मात्राओं के निर्धारण का सामान्य ज्ञान आपको छन्द लिखने में सहायक होगा।

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रचनाकार परिचय

मनोज शुक्ल 'मनुज'

ईमेल : gola_manuj@yahoo.in

निवास : लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि- 04 अगस्त, 1971
जन्मस्थान- लखीमपुर-खीरी
शिक्षा- एम० कॉम०, बी०एड
सम्प्रति- लोक सेवक
प्रकाशित कृतियाँ- मैंने जीवन पृष्ठ टटोले, मन शिवाला हो गया (गीत संग्रह)
संपादन- सिसृक्षा (ओ०बी०ओ० समूह की वार्षिकी) व शब्द मञ्जरी(काव्य संकलन)
सम्मान- राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही' पुरस्कार
नगर पालिका परिषद गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत सम्मान
भारत-भूषण स्मृति सारस्वत सम्मान
अंतर्ज्योति सेवा संस्थान द्वारा वाणी पुत्र सम्मान
राष्ट्रकवि वंशीधर शुक्ल स्मारक एवं साहित्यिक प्रकाशन समिति, मन्योरा-खीरी द्वारा राजकवि रामभरोसे लाल पंकज सम्मान
संस्कार भारती गोला गोकरन नाथ द्वारा साहित्य सम्मान
श्री राघव परिवार गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत साधना के लिए सम्मान
आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह द्वारा सम्मान
काव्या समूह द्वारा शारदेय रत्न सम्मान
उजास, कानपुर द्वारा सम्मान
यू०पी०एग्री०डिपा०मिनि० एसोसिएशन द्वारा साहित्य सेवा सम्मान व अन्य सम्मान
उड़ान साहित्यिक समूह द्वारा साहित्य रत्न सम्मान
प्रसारण- आकाशवाणी व दूरदर्शन से काव्य पाठ, कवि सम्मेलनों व अन्य साहित्यिक कार्यक्रमों में सहभागिता
निवास- जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ (उ०प्र०)
मोबाइल- 6387863251