Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' के हाइकु 

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' के हाइकु 

संघर्ष पथ
नापता आसानी से
काग़ज़ी रथ।

आशंकाएँ हैं
साहस मर गया
ज़िन्दा है डर।



टूटे बन्धन
नैतिकता पतित
शो-पीस तन।



रोते इंसान
हँसते हैं राक्षस
ईश्वर चुप।



पोखर-ताल
सूख गये हैं सारे
गीली हैं आँखें।



बिना आग के
जल रहे हैं गाँव
चुनावी दाँव।



पूस की रात
न बीती आज तक
बीते सौ पूस।



बढ़ता गया
कालापन दाल में
दाल ग़ायब।



रईसज़ादे
छानते लेग-पीस
दाँत बत्तीस।



नादान लोग
ढूँढ़ रहे गंगा में
ज़िन्दा मछली।



संघर्ष पथ
नापता आसानी से
काग़ज़ी रथ।



बहुत फैला
अहंकार में चाँद
घटने लगा।



चोंच मारते
पैक्ड अनाज पर
मरी गौरैया।



सच न बोला
मधुर थे सम्बन्ध
ज़हर घोला।



प्यार गहरा
समन्दर ठहरा
नदी को देख।



बारहखड़ी
सियासत की पढ़ो
सीढ़ियाँ चढ़ो।

******************
 

0 Total Review

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com

निवास : फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि- 08-03-1983
जन्मस्थान- फतेहपुर(उत्तर प्रदेश)
लेखन विधा-हाइकु, दोहा, गीत, ग़ज़ल,लघुकथा
शिक्षा-स्नातक
सम्प्रति- ब्लड बैंक में टेक्निकल इंचार्ज
प्राकाशन- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं  एवं सहयोगी संकलनों में गद्य एवं पद्य रचनाएँ प्रकाशित
प्रसारण- आकाशवाणी छतरपुर से अब तक सात बार प्रसारण, भारत समाचार चैनल से कविताओं का प्रसारण
संपर्क- ग्राम- सनगाँव, पोस्ट- बहरामपुर , फतेहपुर उत्तर प्रदेश-212622
मोबाइल- 8896865866