Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
खालेदा खुरसंद की अफ़ग़ान कहानी 'संदेह' श्रीविलास सिंह द्वारा अनुवाद

तुम्हारे पेट में गुदगुदी और पैरों में झुनझुनी-सी है। तुमने अपनी माँ को फ़ोन किया था, जिससे वे ख़ुश हो गई थीं। माहौल उदास था और बाहर बर्फ पड़ रही थी। तुम्हारी नन्ही बेटी तुम्हारी बग़ल में बैठी धीरे-धीरे साँस ले रही थी। मेहनत से तुम्हें थकान हो गई थी। तुमने अपनी बच्ची को ध्यान से देखा। वह अपनी बड़ी-बड़ी आँखों संग थोड़ा-थोड़ा तुम्हारे जैसी दिख रही थी। वह अपने आसपास जो कुछ घटित हो रहा था, उसे देख रही थी और उसके मुँह से कुछ चूसने की-सी आवाज़ आ रही थी।

आरिफ़ महमूद की उर्दू कहानी 'तमाशाई' का प्रियंका गुप्ता द्वारा अनुवाद

अब गली के आख़िर में बनी हुई छोटी-सी मस्जिद में स्थायी तौर पर लाउडस्पीकर लग गया था और वर्मा जी के दरवाज़े रखे हुए चंद पत्थरों ने एक मंदिर की सूरत अख़्तियार कर ली थी और उसका चबूतरा बढ़कर आधी गली तक पहुँच गया था। इस हक़ीक़त के बावजूद कि सड़क के इस पार बहुत बड़ा मंदिर मौजूद था लेकिन शाम को गली के बाहर के चंद लोग आकर ऐन अज़ान के वक़्त पर घण्टे बजाकर पूजा-पाठ करने लगे थे।

डॉ० पन्ना त्रिवेदी कि गुजराती कहानी- माजों

ट्रेन एक धक्के के साथ थोड़ी धीमी हो गई। माजो की चंचल आँखेँ और भी चमक से भर गईं। एक-एक डिब्बे को आगे धकेलती उसकी आँखेँ वापस लौट आईं। पास-होल्डर का डिब्बा नज़दीक आते ही उसकी बावरी आँखेँ राजा को ढूँढने लगीं।  ‘गॉगल्स’ पहने उसका राजा दरवाज़े के पास ही खड़ा था- ओह तो क्या आज भी उसे जगह नहीं मिली? माजो की आँखों में चमक आ गई| वह तो यही चाहती कि उसे कभी जगह ही ना मिले ताकि रोज़ उसे वह पूरा देख सके| फिर चाहे एक पल के लिए ही क्यों न हो?

गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़ की कहानी 'मौंतिएल की विधवा'

अनूदित लातिन अमेरिकी कहानी
मूल लेखक- गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़