Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

सपना चन्द्रा की कविताएँ

सपना चन्द्रा की कविताएँ

कभी-कभार यादें आकर
खटखटाती हैं द्वार मन के
टोहती हैं पेशानी पर एकाध बूँद
बेचैनी भरे लम्हों की

बिछोह

सुना है कि यह दुनिया
वर्तुल-सी दिखती है

सफ़र में चलते-चलते
कहीं पर हाथ छूट जाते हैं
पर बिछोह! अथाह पीड़ा से
भर देता है दिल को

बिछड़ने वाले भी अक्सर
अपने मन को मना लेते हैं

बिद्ध हृदय फिर से
तरो-ताज़ा भले ही न हो पाएँ

किसी एक परिस्थिति की बेड़ी
इतनी मज़बूत भी कब होती है!

जब कभी पृथ्वी सिकुड़ती जाएगी
तब सब एक-दूसरे से टकराते जाएँगे
या फिर किसे मालूम है एक दिन
हम सब एक ही कतार में होंगे

***********


अंतस की पीर

शिकायतों की बानगी कहाँ पेश हो
मंद आँच पर धीमे-धीमे से
पकती हुई न जाने
क्या से क्या हो जाती हैं
अंतस की तह में चिपकी
उसी में एकाकार हो जाती हैं

कभी-कभार यादें आकर
खटखटाती हैं द्वार मन के
टोहती हैं पेशानी पर एकाध बूँद
बेचैनी भरे लम्हों की
रह-रहकर आँखें खुरचन को हटातीं
पलकें बोझिल-सी बुझी-बुझी
जब दिल के किसी कोने में
पीड़ा खौलती रहती है

1 Total Review
D

Divakar pandey

22 March 2025

अच्छी कविताएं

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

सपना चन्द्रा

ईमेल : sapnachandra854@gmail.com

निवास : भागलपुर (बिहार)

शिक्षा- स्नातक
जन्मतिथि- 13 मार्च
जन्मस्थान- साहिबगंज, झारखंड,भारत
संप्रति- स्वतंत्र लेखन
प्रकाशन- कविता संकलन(तूलिका)
प्रसारण- आकाशवाणी भागलपुर से कहानियों का प्रसारण 
सम्मान/पुरस्कार- अटल रत्न सम्मान, सावित्रीबाई फुले-फातिमा शेख राष्ट्रीय सम्मान 
संपर्क- कहलगाँव,भागलपुर, बिहार
मोबाइल- 9430451879