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कैटरीना लाओरे की अंग्रेज़ी कविता का सुजाता द्वारा अनुवाद

कैटरीना लाओरे की अंग्रेज़ी कविता का सुजाता द्वारा अनुवाद

आओ जागें!
अनुभूत करें
दिन आज ही है
इसी क्षण, अभी! यहीं!
इस कोरी सच्चाई को महसूस करें

बाद में कदापि नहीं

मैं अनुभव करती हूँ-
हाल ही में तो दिन का उदय हुआ था
और देखो
शाम के छः बज गए

अभी-अभी
सोमवार की शुरुआत हुई थी
और देखो
शुक्रवार भी आ पहुँचा

इससे पहले कि हम जान पाएँ
महीना ख़त्म हो गया

और-और
साल तकरीबन बीत गया

इसी भांति
पहले ही
हमारे जीवन के चालीस/पचास/साठ
उससे भी अधिक वर्ष बीत गये हैं

तभी अचानक यह अहसास होता है
कि हमने अपने माँ-बाप
दोस्त
व कुछ प्रियजन खो दिए हैं

तभी हम जान पाते हैं
कि वापसी बहुत दूर है

अतः सबकुछ के बावजूद
शेष समय का आनंद लेने के लिए
प्रयत्नरत रहें

अपनी पसंदीदा गतिविधियों को तलाशें
सफेदी में चंद रंग भरें
जीवन में छोटी-छोटी बातों पर मुस्कुराएँ
जो हमारे दिलों में ख़ुशबू भरती हैं
शारीरिक परेशानी को नज़रंदाज़ करते हुए
शेष समय का शांत मन से मज़ा लें

मूलतः इस संदेश में निहित अर्थ है-
इसी क्षण अपनी मौज में जिएँ
मैं बाद में करूंगा
मैं बाद में कहूंगा
इस विषय में बाद में सोचूंगा

ताउम्र
विलंब के आदी
अंततः समझ पाते हैं
बाद में कदापि अपना नहीं होता

क्या हम सचेत नहीं
बाद में का तात्पर्य क्या है?
काफ़ी ठंडी हो जाती है
हमारी प्राथमिकताएँ बदल जाती हैं
आकर्षण छितरा जाता है
स्वास्थ्य चूक जाता है
दिन, रात में तब्दील हो जाता है
बाद में होते-होते
अकस्मात जीवन का अंत हो जाता है

यानी
बाद के लिए
कुछ न छोड़ो
बाद में कुछ छोड़ने का अर्थ
हम खो देते हैं
बढ़िया क्षण/ बढ़िया अनुभव/ बढ़िया दोस्त
परिवार के संग बढ़िया समय

आओ जागें!
अनुभूत करें
दिन आज ही है
इसी क्षण, अभी! यहीं!
इस कोरी सच्चाई को महसूस करें

हम वह उम्र लांघ चुके हैं
जहां चीज़ों को स्थगित कर सकें–

आशा है आप समय निकालोगे
इस संदेश को पढ़ने तथा
हम उम्र लोगों के साथ बाँटने का
जिनके पास टाल देने का
तनिक भी विकल्प नहीं है

या इसे बाद के लिए छोड़ दोगे
जो आप कभी न कर पाओगे

 


मूल रचना-

I feel

Barely the
Day Started
and... it's
Already six in the evening

Barely
Monday Arrived
And it's
Already Friday

Before we could Realise
The Month is
Already Over

And, And....

The Year is Almost Over.

As of now......
Already
40, 50 or 60+
Years of Our Lives
have passed

And Suddenly
We Realise
that
we
Lost our
Parents,
Friends
and some
Beloved Ones.

And than we Realize it's
Too Late to Go Back

So
Despite Everything

Let's Try
To
Enjoy the Remaining Time.

Let's keep looking for Activities that we like

Let's put some Color in our Grey (if we aren't Bald yet)

Let's Smile at the
Little Things in Life
that put
Balm in our Hearts.

And despite
Our Physical Discomfort

Lets continue to
Enjoy with Serenity the Time Left in Us

Basically the implied meaning of this Message is

That
Let's try to
Eliminate
The Afters

I'm Doing it After
I'll Say After
I'll Think about it After

Yes.....
We are habituated to Leave everything to
Postponing

High time we understand
′After′ is
'Never Ours'

Aren't We Aware

Afterwards Means,
The Coffee gets Cold

Afterwards Means,
Our Priorities tend to Change

Afterwards Means,
the Charm is Broken

Afterwards Means
Health Passes

Afterwards Means
The Day becomes
The Night

And
Suddenly Afterwards Life Ends.

So
Let's Leave Nothing for Later

If we continue to
Harp on
Afterwards/Later Syndrome

We will Lose the
Best Moments
Best Experiences
Best Friends
Best Time with Family

Lets Wake Up
Realise
The Day is Today
The Moment is Now

Lets Face Stark
Reality

We are
No Longer
at the
Age
where we can
Afford to Postpone

Hope You have
Time to Read
this Message and Share it with
Like Minded
Similar Aged Persons who
No Longer
Have Luxury
To Postpone.

(Or maybe you'll leave it for... 'Later'
And you'll never Share it)

मूल लेखक कैटरीना लाओरे, आयरलैंड की रहने वाली हैं। वे गालवे माययो इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर हैं।

******************

3 Total Review
S

Sumita bura

11 August 2024

मूल रूप में कविता बेहद सुंदर है। सुजाता जी का अनुवाद, अनुवाद न लगकर मूल कविता ही लगती है।

S

Sunil

11 August 2024

बहुत ही सुंदर व्याख्या जीवन की

N

Neetu Agarwal

10 August 2024

बहुत सुंदर 👌👌

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रचनाकार परिचय

सुजाता

ईमेल : sujata.manocha@gmail.com

निवास : अमृतसर (पंजाब)

जन्मतिथि- अप्रैल 1959
जन्मस्थान- हिमाचल प्रदेश
शिक्षा- एम०फिल० (हिंदी)
प्रकाशन/ प्रसारण- 'बर्फीला मौन जब पिघलता है', 'देखना तब' एवं 'धूप सहेली' काव्य पुस्तकें प्रकाशित प्रमुख पत्र–पत्रिकाओं में मूल एवं अनुदित रचनाएँ प्रकाशित। रेडियो, दूरदर्शन, कवि सम्मेलनों में भी हिस्सेदारी।
विशेष- अनुवाद में रुचि। पंजाबी और अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद।
निवास- अमृतसर (पंजाब)
मोबाइल- 9888569778