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देवेश पथ सारिया की कविताएँ

देवेश पथ सारिया की कविताएँ

आंशिकता में पूर्ण

जा रहे थे म्यूजियम से बाहर
एक-दूसरे को सहारा देते
वे दृष्टि-बाधित स्त्री-पुरुष

टटोलते हुए एक पूरा रास्ता
मिलाकर
अपनी-अपनी आंशिक दृष्टि

हज़ारों वर्षों का इतिहास
भीतर भरा था
रॉयल ब्रिटिश कोलंबिया म्यूजियम* के

पर सभ्यता के सबक का निचोड़
जिसे लोग नहीं देख पाए
वह अबाधित साहचर्य
सरक रहा था
वहाँ से बाहर
चुपचाप

* कनाडा के ब्रिटिश कोलम्बिया प्रांत के विक्टोरिया शहर का एक महत्वपूर्ण संग्रहालय

*************


मंत्रविद्ध

कोई लड़की
यूरोप जैसी कला-प्रेमी
पहने हुए सफ़ेद लंबा गाउन

उसने राह चलते सुना
किसी कवि के घर
प्रदर्शनी लगी है कविताओं की
कविताओं की प्रदर्शनी?
हम्म्म्म
वह घुस जाती है भीतर

दरवाज़े से लगता बग़ीचा
और बग़ीचे के बाद
उतना ही चौड़ा हॉल
हॉल में रखी अर्द्ध-पारदर्शी बाल्टियाँ
सफ़ेद कॉटन के कपड़े से ढँकी हुईं

लड़की ने कपड़ा उघाड़ा
और बाल्टी के भीतर से निकलीं
कविता की चार पंक्तियाँ

लड़की पर एक टोना-सा हुआ
वह दूसरी बाल्टी की ओर बढ़ी
वही चार पंक्तियाँ
तीसरी, चौथी, पांचवीं
हर बाल्टी में वही चार पंक्तियाँ
फिर भी लड़की उकताई नहीं
और हर बाल्टी से निकाल कर
उसी जोश से पढ़ती रही
उन्हीं पंक्तियों को फिर-फिर

जब सारी बाल्टियों का अर्द्ध-पारदर्शीपन
बाक़ी आधा सच भी उंडेल चुका
वह जाने के लिए मुड़ी वापस
तभी हवा में गूँजने लगी
कवि की आवाज़:
कहाँ छुपी थी तुम, आई हो आज!

आवाज़ गूँजती रही
सुनाती रही कविताएँ तमाम
जो कवि ने लिखी थीं अधूूरी-पूरी

लड़की जो बौरा-सी गयी थी
चार ही पंक्तियों के जादू में
अब देख रही थी जादू का पोर-पोर
मंत्रविद्ध रोम-रोम

उन कॉटन के कपड़ों को
बाल्टियों से हटाते समय
नहीं पढ़ा था उसने
कपड़ों पर अंकित
चार पंक्तियों के कवि का जीवन-काल
कवि सात वर्ष पहले ही मर चुका था

*************


अभी उठेगी (इंद्रधनुषी* नूर)

अभी उठेगी
बासे मुँह में टूथब्रश डालेगी
तैयार होगी
नाश्ता करेगी
एक बार में स्कूटी स्टार्ट नहीं होने पर झुँझलाएगी
और यह सब करते हुए सोचती जाएगी

वह भी अभी उठी होगी
बासे मुँह में टूथब्रश घुमाती
तैयार होती होगी
फिर नाश्ता करेगी
एक ही किक में स्कूटी स्टार्ट कर लेगी
सड़क पर राज करेगी

मैं औसत
मेरे सपने औसत
वह क्यों मुझे पसंद करेगी?

उस नूरानी लड़की का सपना
एक दिलफ़रेब लड़की

मेरा सपना वह

मैं औसत
मेरे बाक़ी सारे सपने औसत!

*यहाँ इंद्रधनुषी शब्द का प्रयोग एलजीबीटी समुदाय को व्यक्त करने हेतु किया गया है।

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अँधेरे के असफल जिप्सी

लगभग सभी बच्चों की
कल्पनाओं में
शामिल रहती है
सितारों की फंतासी भरी दुनिया

ताज़ा, जवान ख़ून
भावनाओं के फिसलन भरे मोड़ पर
हो जाना चाहता है एक जिप्सी

बच्चे में
कूट-कूट कर भरी होती है
जिज्ञासा
और युवाओं के पास
होते हैं कुछ इंक़लाबी नारे-
कुछ कर गुज़रना
या सिमटना बेफ़िक्री में

आसपास
इन बच्चोंं और युवाओं के
होते हैं
कुछ अड़ियल वयस्क, प्रौढ़ और बुज़ुर्ग
जिनकी ठसक और दख़ल से
ख़ैरियत से आबाद रहते हैं
आजीविका के अधिक सुरक्षित विकल्प

जिज्ञासाएँ रीत जाती हैं
जिप्सीपन भी कहाँ रह पाता है ज़िंदा

बूँद-बूँद रिसता
ख़ाली होता है घड़ा
परियों की कहानियों
और जुनूनी गीतों का

एक 'सुरक्षित' काम में लट्टू की तरह नाचते
किसी दिन देखते हैं ये
आँखें फाड़ तारे देख रहे आदमी को
और एक हूक-सी उठती है
कहीं भीतर

जब कभी मिलते हैं ये
किसी अन्य असफल जिप्सी से
फुसफुसाते हैं-
"सब कुछ छोड़ हिमालय चले जाना है"

'हिमालय पर ...'
सोचते हुए
पुराने फिल्टर पेपर पर
उभरने लगता है भुतहा अतीत।

*************


दृश्यों का कवि

इन दिनों
मैं कुछ अलग ढंग से देखता हूँ
दृश्यों को

लगता है
मुझे सही नंबर का चश्मा मिला है
इसमें अस्तिगमाटिज्म का करेक्शन लगा है
वरना मुझे मालूम ही न था
इस नुक़्स की मौज़ूदगी का

किसी दृश्य में प्रवेश करते हुए
अब मुझे लगता है
जैसे मैं बना रहा हूँ
कोई डॉक्यूमेंट्री अपनी आँखों से
जिसे मैं कर लेना चाहता हूँ रिकॉर्ड
एक बढ़िया कैमरे में

कितने दृश्य खो दिए मैंने!

होते हए दृश्यों का कवि
मुझे होना चाहिए था हमेशा से ऐसा ही
बिना किसी कैमरे के
और घिसे हुए कांच वाले
ग़लत नंबर के चश्मे के साथ भी।

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रचनाकार परिचय

देवेश पथ सारिया

ईमेल : deveshpath@gmail.com

निवास : Hsinchu, Taiwan

प्रकाशन- साहित्य अकादमी, दिल्ली से कविता संकलन 'नूह की नाव', कथेतर गद्य 'छोटी आँखों की पुतलियों में', अनुवाद 'हक़ीक़त के बीच दरार' (ली मिन-युंग की कविताएँ) एवं 'यातना शिविर में साथिनें' (जॉन गुज़लॉव्स्की की कविताएँ) प्रकाशित।
अन्य भाषाओं में अनुवाद/प्रकाशन- कविताओं का अनुवाद अंग्रेज़ी, मंदारिन चायनीज़, रूसी, स्पेनिश, बांग्ला, मराठी, पंजाबी और राजस्थानी भाषा बोलियों में हो चुका है। इन अनुवादों का प्रकाशन लिबर्टी टाइम्स, लिटरेरी ताइवान, ली पोएट्री, यूनाइटेड डेली न्यूज़, स्पिल वर्ड्स, बैटर दैन स्टारबक्स, गुलमोहर क्वार्टरली, बाँग्ला कोबिता, इराबोती, कथेसर, सेतु अंग्रेज़ी, प्रतिमान पंजाबी और भरत वाक्य मराठी पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। A Toast to Winter Solstice (अंग्रेज़ी अनुवाद : शिवम तोमर) शीर्षक से एक अंग्रेज़ी कविता संकलन प्रकाशित।
पुरस्कार/सम्मान- भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (2023)
मोबाइल- +886978064930