Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

दिव्या शर्मा की लघुकथाएँ

दिव्या शर्मा की लघुकथाएँ

"तुम्हारे लिए सफेद रंग जरूरी है।"
वह इस रंग को अपने से दूर रखना चाहती थी, क्योंकि यह रंग तो उसने न दिया था…
...लेकिन सफेद  रंग तन के साथ उसके मन पर भी पोत दिया गया। उसके दिए हुए सारे रंग छूट गए।

एक - खट्टे अंगूर 
 
दस साल में कितना बदल गया गाँव!" पक्की सड़क और घर की छतों पर लगे डिश एंटिना को देखकर मेरे  मुँह से निकला।
"बहुत बदल गया है। घर-घर टीवी और वाशिंग मशीन है और तो और एसी भी लग हैं अपने गाँव में। "ई रिक्शा वाला गर्व से बोला।
"हम्म दिख रहा है।" इतना कह मैं खेतों की हरियाली निहारने लगा।
"साली… मरेगी क्या?" तभी अचानक झटके के साथ ब्रेक लगाते हुए रिक्शेवाला चिल्लाया।
मैने पलटकर देखा तो एक औरत सहमी सी खड़ी थी। कपड़े जगह जगह से फटे हुए थे, धूल से सने हुए  चहेरे पर बिखरे थे।
फटकार सुन वह सड़क के किनारे सरक गई।
रिक्शा आगे बढ़ गया।
मैंने दोबारा पलटकर उस औरत की तरफ देखा,बालों के बीच से झांकती उसकी दो आँखें… कुछ तो था उनमें।
"कौन है, वो औरत…पागल है क्या?"
"नहीं पागल नहीं, किस्मत की मारी है।" रिक्शेवाले ने जवाब दिया।
"मतलब?" मेरी नजर उस औरत पर ही थी जो धीरे धीरे दूर होती जा रही थी।
"विधवा है… ऊपर से बहुत सुंदर… न माँ, न बाप, न भाई न कोई बहन, कौन सहारा देता इसको?" इतना कह वह चुप हो गया।
"और ससुराल वाले!!"जाने क्यों मुझे उसके बारें में जानने की इच्छा होने लगी।
"हुउ… काहे के ससुराल वाले!… साले… हरामी !" वह फिर खामोश हो गया।
"मैं समझा नहीं?" मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।
"सुंदर थी न… सबको चाहिए थी… लेकिन किसी के हाथ न आई।" इतना कह उसनें सड़क पर पिच्च से पान की पीक थूक दी।
"फिर क्या हुआ?"
"फिर क्या? होने क्या था....अब डायन साबित कर दी गाँव वालों ने।" इतना कह उसनें रिक्शे की रफ्तार बढा दी।
अब मेरी निगाह पक्की सड़क पर पड़ी उसकी पान की पीक पर  थी।
 
******************
 
 
दो- रंगरेज
 
" यह पीला रंग तुम पर बहुत खिलेगा।" किसी ने हौले से उससे  कहा था।
वह मुस्कुराई और उसके तन-बदन पर पीत रंग चढ़ गया।
"तुम्हारे लिए अब  लाल रंग जरूरी है।" एक दिन उसी ने कहा।
वह मुस्कुराई। जल्द ही सुर्ख लाली उसके चेहरे पर खिलने लगी।
"आओ, तुम्हें हरे रंग में रंग दूँ।" वह उसके कानों में फुसफुसाया और उसे अपनी बाँहों में भींच लिया।
वह फिर मुस्कुराई। लाज का दामन दूर जा गिरा। हरा रंग उसकी रग-रग में दौड़ने लगा। और देखते-ही-देखते उसके चारों तरफ किलकारियाँ गूँजने लगीं। वह भूल गई अपनी पसंद का हर रंग और डूबती गई उसके दिए हरेक रंग में।
लेकिन फिर एक दिन... सबने कहा...
"तुम्हारे लिए सफेद रंग जरूरी है।"
वह इस रंग को अपने से दूर रखना चाहती थी, क्योंकि यह रंग तो उसने न दिया था…
...लेकिन सफेद  रंग तन के साथ उसके मन पर भी पोत दिया गया। उसके दिए हुए सारे रंग छूट गए।
इस बार वह मुस्कुराई नहीं... रोई... और बहुत रोई।
 
******************
 
 
तीन- खनक
 
लाल और हरी चूड़ियाँ अपने अपने रूप पर इतरा रही थी। लाल चूड़ी इतरा कर बोली,"अगर मैं हूँ तो दुल्हन का श्रृंगार है। माता के पूजन में मुझे ही चढाया जाता है।" और अदा से बज उठी।
यह सुन कर हरी चूड़ी बोली,
"सावन में जब दुल्हन मायके आती हैं और चारों ओर हरियाली छाती है तब उनके हाथों में मैं ही खिलती हूँ। तब गोरी के हाथों पर चार चाँद लग जाते हैं।"
इतना कह दोनों खनक उठी। तभी उनकी नजर पास पड़ी टूटी चूड़ियों पर गई और वह दोनों हिकारत से बोली,
"ये टूटी-फूटी चूड़ियाँ  कहाँ से आ गईं? छि:, कितनी खराब दशा है इनकी।"
टूटी हुई चूडियाँ यह सुन कर दुखी हो गई और उनकी आँखें सजल हो गईं। तभी पास रखा सिंदूर बोला, 
"इनकी कीमत तुमसें कई गुना है क्योंकि यह एक शहीद की पत्नी की चूड़ियाँ हैं ,जो इसलिए टूट गई ताकि तुम खिलखिलाती रहों..।"
 
******************
 
 
चार- ईदिपस 
 
बरसों की रिसर्च का नतीजा उसके हाथ में था। उसके बनाए गैजेट से एक्स के मस्तिष्क में रहने वाली उस ग्रंथि का पता चलने वाला था। जो एक्स को पाप करने के लिए उकसाती है।
एक्सप्लोरेशन  और रिसर्च  के अनुसार भूतकाल में एक्स, वाई के मुकाबले बेहद संवेदनशील व भावुक थी फिर विकास के नियम का यह कौन-सा चरण आया जिससे एक्स के मस्तिष्क में अपराध प्रवृत्ति पनपने लगी?
वह जानना चाहता था कि आखिर एक्स इतनी खुंखार क्यों हो गई? उसके मस्तिष्क में ऐसी कौन-सी ग्रंथि है जो उसे हिंसक बनाती है। 
वाई ने अपनी आँखों पर वह चश्मेनुमा गैजेट पहन लिया और कलाई पर बंधे डिवाइस से एक्स का डाटा गैजेट में सेट किया। चेहरे पर प्रसन्नता लिए उसकी  उंगलियाँ  डिवाइस पर थिरकने लगीं।
अभी डाटा अपलोड ही हुआ था कि वर्चुअल स्क्रीन तेजी से खुद-ब-खुद स्क्रोल होनी लगी।  उस पर तारीखें उभरने लगीं। परेशान वाई उस पर नियंत्रण की कोशिश करने लगा। तभी स्क्रीन अचानक रूक गई और कुछ दिखाई देने लगा।
उसके गैजेट की ब्लू लाइट जल उठी। उसके मस्तिष्क में तेजी से हलचल होने लगी।
वह एक्स के साथ एक जंगल में था...वह देख पा रहा था कि वह शिकार कर रही थी। उसनें एक्स को  अपनी बाँहों में  ले लिया और गुफा में ले जाकर…एक्स के चेहरे पर बदलाव दिख रहा था।
अब एक्स पत्तों से अपने शरीर को लपेटे दिख रही थी।
स्क्रीन पर तेजी से दृश्य बदलने लगे। 
एक्स बाजार में खड़ी थी जंजीरों में….और वाई!.. वह  हँसते हुए उसके कपड़े..वह निवस्त्र थी।
एक्स अपनी शक्ति भूल चुकी थी। खुद को समेटकर वह खुद पर ही शर्मिंदा थी।
दृश्य बदला…
ओह…एक्स जल रही थी और वाई? वह ढोल बजा रहा था ताकि एक्स के  चीखने की आवाज न सुनाई दे।लेकिन यह क्या!एक्स जिंदा थी और असंख्य  मृत वाई ,एक्स को आग में बार -बार धकेल रहे थे।
दृश्य तेजी से बदला…
अब एक्स खून से लथपथ पड़ी थी। उसकी आयु! वह अपने बचपन में थी लेकिन उसके जननांगों पर चोट……..ओहह!
अचानक वाई को कुछ हँसने की आवाजें सुनाई दीं। वह ध्यान से सुनने लगा। यह... यह तो उसी की आवाज थी!
दृश्य फिर परिवर्तित होने लगे।
एक्स बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन…वाई भी वहीं था... उसके हाथ में उसके खोज की फाइल थी…
अब एक्स खामोश थी और उसके चारों तरफ उसी के जैसे दिखने वाली अनेक एक्स विलाप कर रही थीं…
वाई ने फाइल को होठों से चुमा लेकिन उसके होंठों पर….खून…!!
हड़बडा कर वाई ने गैजेट को आँखों से हटा दिया।उसके चेहरे पर पसीना चूने लगा।
अपने को संयत कर उसने  गैजेट को दोबारा आँखों पर चढाया और फिर से डाटा अपलोड किया। वह सावधानी से डिवाइस को सेट करने लगा।
दृश्य फिर से सामने आने लगे…..लेकिन एक्स का मस्तिष्क! उसकी पाप ग्रंथि!!  अब मस्तिष्क की शिराएं कुछ दिखाई देने लगीं कि तभी..दृश्य फिर बदला।
एक्स की उंगलियाँ कुछ बदली दिख रही थीं।उसके नाखूनों में किसी के माँस के टूकड़े फंसे थे….और वाई? वह जमीन पर पड़ा हुआ था।
फाइल वाई और खून दृश्य में एक्स खामोश थी...विलाप था और...वाई के हाथों में गैजेट…!
अचानक वाई को अपने अंदर एक्स नजर आने लगी। घबरा कर उसने गैजेट पटक दिया। गैजेट जमीन पर चकनाचूर पड़ा था।
उसकी खोज पूर्ण हो चुकी थी… उसे पाप ग्रंथि मिल चुकी थी लेकिन,एक्स के मस्तिष्क में नही, बल्कि....खुद उसके मस्तिष्क में।
 
******************

0 Total Review

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

दिव्या शर्मा

ईमेल : sharmawriterdivya@gmail.com

निवास : देहरादून उत्तराखण्ड

जन्म स्थान- देहरादून ,उत्तराखण्ड 
जन्मतिथि- 1 जुलाई 
शिक्षा- स्नातक कला वर्ग में, , डिप्लोमा पर्यटन गाइड, एनटीटी।
प्रकाशित पुस्तकें- ■ कहानी संग्रह 'मैं भागी नहीं थी माँ" ,■लघुकथा संग्रह 'कैलेण्डर में लटकी तारीखें'का प्रकाशन   ■'सम -सामयिक लघुकथाएँ'साझा संकलन में सह-सम्पादन।लघु-कविता संग्रह पुरुस्त्रेंण ।
■ 'जंगल की हर रात काली नहीं होती ' ईबुक किंडल पर प्रकाशित।
तीन साल से व्यवासायिक तौर पर कंटेंट व स्क्रिप्ट राइटिंग कर रही हूँ।
पुरस्कार व सम्मान
1- हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल -2020 में साहित्य सहयोग के लिए सम्मान।
2-साहित्य संचय फाउंडेशन व अयोध्या शोध संस्थान(संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश)द्वारा नवंबर2019 में सम्मान।
3-मदनलाल अग्रवाल स्मृति ,किस्सा कोताह बाल कहानी पुरस्कार -2020
4-हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच से लघुकथा सेवी सम्मान।
5-सृजन बिम्ब प्रकाशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मान।
6- क्षितिज नवलेखन सम्मान-2020 ।
7- गोवर्धन लाल चौमाल स्मृति कहानी प्रतियोगिता में कहानी संग्रह 'मैं भागी नहीं थी माँ' शीर्ष दस पुस्तकों में सम्मिलित।
8- एथ्री फाउंडेशन द्वारा कहानी संग्रह ‘ मैं भागी नहीं थी माँ ‘ को श्रेष्ठ कहानी विधा की पुस्तक में सम्मान।
9- साहित्य समर्था त्रैमासिक पत्रिका द्वारा अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानी पुरस्कार।
10- कथा रंग कहानी  प्रतियोगिता में श्रीमती जैदेवी जायसवाल स्मृति शिवानी कथा सम्मान -2023
11- डॉ . सुरेंद्र वर्मा स्मृति में लघु कविता सृजन सम्मान
12- गुरू द्रोण सम्मान
13- प्रिंट मीडिया वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर अटल रत्न सम्मान।
साहित्यक परिचय- 
नुक्कड़ नाट्य मंडल द्वारा विभिन्न लघुकथाओं की पूरी सीरीज का मंचन । नाट्य विद्यालय के छात्रों द्वारा प्रयागराज व विभिन्न क्षेत्रों में मंचन जिसे दैनिक जागरण, अमर उजाला व हिन्दूस्तान टाइम आदि राष्ट्रीय समाचार पत्रों ने प्रमुखता से छापा।
कैंसर पर जागरूक करती लघुकथा "मर्कट_कर्कट" का रूपांतरण नशाखोर के रूप प्रयागराज के प्रतिष्ठित रंगशालाओं में मंचन।
साक्षात्कार
■दैनिक जागरण में साक्षात्कार प्रकाशित।
■दैनिक भास्कर में साक्षात्कार प्रकाशित।
■जुगरनॉट पर साक्षात्कार प्रकाशित।
अन्य पुरस्कार-
■ कथादेश द्वारा आयोजित 'अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता'-13  में कथा पुरस्कृत।
जुगरनॉट पर कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान।
स्टोरी मिरर द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा "खनक" को प्रथम स्थान।
प्रकाशन-
■समावर्तन पत्रिका के लघुकथा स्तंभ 'घरौंदा' में मेरी लघुकथाएं दिसंबर दो हजार उन्नीस के अंक में प्रकाशित हुई।
■समावर्तन पत्रिका (उज्जैन)के महिला विशेषांक में प्रकाशन।
■ हरियाणा साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका हरिगंधा के मार्च अंक में कविता व लघुकथा का प्रकाशन।
■ अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका हिन्दी चेतना में कथा प्रकाशित।
■150 से अधिक लघुकथाएं कई प्रतिष्ठित पत्र, 
पत्रिकाओं जैसे पड़ाव और पड़ताल, किस्सा कोताह, आह जिंदगी ,गृहशोभा,हरिगंधा,लघुकथा कलश, आधुनिक साहित्य, शुभ तारिका, सरस सलिल ,साहित्य कलश,सत्य की मशाल आदि में प्रकाशित।
■ गृहशोभा, सरिता, वर्तमान,अहा जिंदगी, मधुरिमा आदि पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन।
■प्रभात खबर, दैनिक सांध्य टाइम, दैनिक हरियाणा प्रदीप, सुरभि आदि पत्रों में लघुकथाओं व कविताओं का प्रकाशन।
■UGC से अप्रुव्ड पत्रिका आधुनिक साहित्य के.जनवरी -मार्च 2021 के अंक में लघुकथाएं प्रकाशित।
■बाल कथा, "बंटू और पेड़" पाठ्यक्रम में सम्मिलित।
■बाल कविता 'रिश्तों का संसार" पाठ्यक्रम में सम्मिलित।
■नंदन के जुलाई 2020 अंक में बाल कथा "भागा राक्षस" प्रकाशित।
■बालभारती पत्रिका के फरवरी 2021 के अंक में बाल कथा प्रकाशित।
■किस्सा कोताह पत्रिका में बालकहानी का प्रकाशन।
■नेपाली व बंगाली व पंजाबी भाषा में लघुकथाओं का अनुवाद।
■बोल हरियाणा, बोलता साहित्य,बीके इंटरटेनमेंट आदि यू ट्यूब चैनल्स पर लघुकथाएँ प्रसारित।
 
अयोध्या शोध संस्थान (संस्कृति विभाग,उत्तर प्रदेश)के सहयोग से साहित्य संचय फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आलेख वाचन के अवसर के साथ ही रामचरित मानस में राम के विविध रूप पुस्तक में शोध परक आलेख प्रकाशित।
मोबाइल- 7303113924