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सशक्त महिला : विकसित समाज का आधार- डॉ० दीप्ति तिवारी

सशक्त महिला : विकसित समाज का आधार- डॉ० दीप्ति तिवारी

महिलाएँ हमारे समाज की आधी आबादी हैं और कहीं न कहीं समाज के नैतिक मूल्यों को सँजो कर रखना उन्ही के हाथों में होता है l इसका कारण यह है कि एक महिला माँ के रूप में अपने बच्चों को जो गुण और नैतिकता सिखाती है, बड़े होने पर वो बच्चे उन्ही गुणों और नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में उतारते हैं l और इन्ही वैयक्तिक गुणों और मूल्यों से हमारे सामाजिक मूल्यों का निर्धारण होता है l अतः यह स्पष्ट है कि जिस समाज में महिला सशक्त और समझदार होगी उसी समाज में खुशहाली और विकास होगाl

महिलाएँ हमारे समाज की आधी आबादी हैं और कहीं न कहीं समाज के नैतिक मूल्यों को सँजो कर रखना उन्ही के हाथों में होता है l इसका कारण यह है कि एक महिला माँ के रूप में अपने बच्चों को जो गुण और नैतिकता सिखाती है, बड़े होने पर वो बच्चे उन्ही गुणों और नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में उतारते हैं l और इन्ही वैयक्तिक गुणों और मूल्यों से हमारे सामाजिक मूल्यों का निर्धारण होता है l अतः यह स्पष्ट है कि जिस समाज में महिला सशक्त और समझदार होगी उसी समाज में खुशहाली और विकास होगा l

महिला सशक्तिकरण क्या है?

महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं को सामाजिक व आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है l एक सशक्त महिला अपने घर, परिवार, समाज और राष्ट्र में बराबर की हिस्सेदारी करने का हक़ रखती है और वो अपने निर्णय स्वयं लेने के लिए स्वतन्त्र है l सशक्त महिला अपनी क्षमताओं का पूर्ण रूप से विकास करती है और उसकी सोच सकारात्मक और प्रगतिशील होती है l सशक्त महिला जहाँ अपने अधिकारों के लिए जागरुक होती है, वहीँ वह अपने कर्तव्यों के प्रति भी पूरी ईमानदारी से समर्पित रहती है l

महिला सशक्तिकरण क्या नहीं है?

महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं को पुरुषों के खिलाफ खड़ा करना या उन्हें पुरुषों से श्रेष्ठ साबित करना नहीं है l अपितु यह एक सकारात्मक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों और अवसरों के प्रति जागरुक बनाना है ताकि वे समाज का उपेक्षित हिस्सा न बनें, बल्कि बराबर की भागीदारी कर के समाज के उत्थान में योगदान देंl

* महिला सशक्तिकरण का मतलब पुरुषों के खिलाफ विद्रोह करना नहीं है l इसके विपरीत यह समाज में समानता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने की प्रक्रिया है l

* केवल पैसे कमाना ही महिला सशक्तिकरण नहीं है l महिला सशक्तिकरण का वास्तविक अर्थ सामाजिक, मानसिक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र रह कर अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों का समुचित निर्वहन है l

* महिला सशक्तिकरण का अर्थ ये नहीं है की महिलाएं पुरुषों के जैसी बन जाएं l इसका अर्थ ये है की महिलाएं अपनी विशेष पहचान और क्षमताओं के साथ जीवन के हर पहलू में आगे बढ़ें और सम्मानपूर्वक जीवन जियें l

* महिला सशक्तिकरण का अर्थ ये नहीं है की महिलाएं अपनी स्वतंत्रता का दुरूपयोग करें या अपनी मर्यादा के खिलाफ जाएं l बल्कि इसका अर्थ ये है की महिलाएं अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करके अपनी, अपने परिवार की, अपने समाज की और अपने राष्ट्र की उन्नति का कारक बनें l

महिला सशक्तिकरण की राह में चुनौतियाँ

वर्त्तमान समय में हमारे समाज में महिला सशक्तिकरण की दिशा में काफी काम किया जा रहा है और पिछले कुछ वर्षों में समाज में महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर हुई भी है फिर भी समाज के एक बड़े हिस्से में अब भी कहीं न कहीं महिलाओं को दोयम दर्ज़ा ही मिला हुआ है l जो महिलाएं सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो भी गयी हैं वे भी मानसिक रूप से खुद को सशक्त नहीं महसूस कर पाती हैं l

उपाय

मानसिक रूप से स्वयं को सशक्त महसूस करने के लिए हमें अपनी सोच में कुछ सकारात्मक परिवर्तन लाना होगा l इसके लिए कुछ सुझाव निम्न हैं -

* अपने सपनों को ज़िंदा रखें - बचपन में जो सपने हम देखते हैं, वक़्त के साथ अक्सर उनको भूल कर हम ज़िम्मेदारियों के बोझ के तले डाब कर ज़िंदगी गुज़ार देते हैं l ज़रूरी है की हम उन सपनो को ज़िंदा रखें और उनको पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे l चाहे ये प्रयास छोटे छोटे ही हों लेकिन अपने सपनो के लिए, अपनी ख़ुशी के लिए कुछ न कुछ करते रहना हमारी पहचान के बनाये रखने में सहायक होता है l

* निरंतर कुछ न कुछ नया जानने व सीखने के लिए प्रयासरत रहें - ज्ञान ही वो नाव है जिसके सहारे से हम विषम से विषम परिस्थितियों में भी अपना रास्ता खोज सकते हैं l इसलिए नयी नयी चीज़ों को जानना और उनके बारे में जानकारी हासिल करते रहना अत्यंत आवश्यक है l साथ ही अपने चारों तरफ होने वाली घटनाओं के प्रति भी जागरूक रहना ज़रूरी है l

* अपने को निरंतर बेहतर बनाने की लगन - हर व्यक्ति के अंदर कुछ गुण होते हैं तो कई कमज़ोरियाँ भी होती हैं l अपने को सशक्त करने के लिए ज़रूरी है की हम आत्मविश्लेषण करने की आदत डालें, अपनी कमज़ोरियों को पहचानें और उन्हें दूर करने की कोशिश करें l अपने को गढ़ने की यह यात्रा जीवन पर्यन्त चलती रहती है लेकिन इसके हर चरण के बाद हम निश्चित तौर पर अपने को थोड़ा और मजबूत महसूस कर पाते हैं l

* अपने डर पर विजय पाने की कोशिश करनी है - हमारे मन के डर हमको कदम कदम पर कमज़ोर करते हैं l ऐसे में हमको यह समझना है की किसी चीज़ से डरना एक सीखी हुई दिमागी प्रतिक्रिया है और इसके प्रति सजग हो कर हम इस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं l यदि यह डर हमारे मन में बहुत गहरा बैठा हुआ है तो इसको दूर करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सहायता ली जा सकती है किन्तु इस से उबरना हमारे सशक्त होने के लिए अत्यंत आवश्यक है l

* अपनी जड़ों से जुड़े रहना - सपने देखना हमारी सोच को उड़ान देता है तो अपनी जड़ों से जुड़े रहना हमारे व्यक्तित्व को स्थायित्व देता है l अतः हमें यह कभी नहीं भूलना है की हमारी शरुआत कहाँ से हुई है l अपने जन्मस्थान, अपने जन्मदाता, अपने संस्कार और अपनी संस्कृति को हमेशा याद रखना है और उसका सम्मान करना है l

इन तरीकों को अपना कर हम स्वयं को सशक्त बना सकते हैं और अपने आस पास के लोगों को भी सशक्त होने की प्रेरणा दे सकते हैं l और इस प्रकार, धीरे धीरे हम अपने समाज और राष्ट्र को सशक्त बनता हुआ देख सकते हैंl

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रचनाकार परिचय

दीप्ति तिवारी

ईमेल : deptitew@gmail.com

निवास : कानपुर(उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ० दीप्ति तिवारी 
जन्मतिथि- 30 सितंबर 1972 
जन्मस्थान- कानपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम बी बी एस, एम ए (मनोविज्ञान),डिप्लोमा ( मेंटल हेल्थ), पी जी  डिप्लोमा(काउंसलिंग एंड बिहैवियर मैनेजमेंट), पी जी डिप्लोमा(चाइल्ड साइकोलजी), पी जी डिप्लोमा(लर्निंग डिसबिलिटी मैनेजमेंट)
संप्रति- फैमिली फिजीशियन एंड काउन्सलर, डायरेक्टर, संकल्प स्पेशल स्कूल, मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट, जी टी बी हॉस्पिटल प्रा. लि. 
प्रकाशन- learning Disability: An Overview 
संपर्क- फ्लैट न. 101 , कीर्ति समृद्धि अपार्टमेंट, 120/806, लाजपत नगर, कानपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाईल- 9956079347