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डॉ० ऋतु शर्मा नंनन पाण्डेय की बाल कहानी- फिबी और बेला

डॉ० ऋतु शर्मा नंनन पाण्डेय की बाल कहानी-  फिबी और बेला

जब से फिबी अपनी सहेली किम के घर से वापिस आई थी ,वह सारा समय किम के ख़रगोश बनि के बारे में ही बात किये जा रही थी। आने वाले सप्ताह मे फिबी का जन्मदिन भी था। उसने माँ से कहा उसे भी अपने जन्मदिन पर एक ख़रगोश चाहिए। माँ ने फ़ीजी से पूछा तुम्हें ख़रगोश ही चाहिए? तुम कुछ और अपने जन्मदिन पर माँग सकती हो जैसे-  नई साइकिल, डॉल हाऊस या कुछ और?

जब से फिबी अपनी सहेली किम के घर से वापिस आई थी ,वह सारा समय किम के ख़रगोश बनि के बारे में ही बात किये जा रही थी। आने वाले सप्ताह मे फिबी का जन्मदिन भी था। उसने माँ से कहा उसे भी अपने जन्मदिन पर एक ख़रगोश चाहिए। माँ ने फ़ीजी से पूछा तुम्हें ख़रगोश ही चाहिए? तुम कुछ और अपने जन्मदिन पर माँग सकती हो जैसे-  नई साइकिल, डॉल हाऊस या कुछ और?

नहीं माँ मुझे एक ख़रगोश ही चाहिए। पालतू जानवर सिर्फ़ जानवर ही नहीं होते वह हमारे दोस्त भी होते है। फिर माँ आपको पता है ख़रगोश बहुत समझदार होते हैं और शोर भी नहीं मचाते।मुझे ख़रगोश ही मेरे जन्मदिन का उपहार चाहिए। प्लीज माँ फ़ीबी ने माँ के गले लगते हुए कहा।

 

माँ ने फिबी को समझाया कि किसी भी जानवर को पालना यानि बहुत सारी ज़िम्मेदारी ,साफ़ -सफ़ाई और सही देखभाल करना होता है। क्या तुम अपने स्कूल के काम के साथ साथ इतना समय निकाल पाओगी?

हाँ हाँ, क्योंकि नहीं माँ मैं सब कर लूँगी। फिबी ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा।

ठीक है, कल हम कॉलोनी के पास वाले बच्चों के फार्म हाऊस में जा कर पूछेंगे। शायद वहाँ ख़रगोश के बच्चे हों, जिन्हें एक घर की ज़रूरत हो?

फिबी ख़ुशी से ताली बजाने लगी। अच्छा अब जा कर सो जाओ, कल दोपहर को जब तुम स्कूल से घर आ जाओगी, तब हम कॉलोनी के फार्म हाऊस जाएँगे। फिबी की कॉलोनी में एक छोटा सा फार्म हाऊस था। नीदरलैंड्स की हर कॉलोनी इसी तरह के छोटे छोटे बने होते हैं जहाँ,कई तरह की मुर्ग़ी, चिड़ियाँ, बकरी, भेड़,,मोर, ख़रगोश, गिनी पिग, और पोनी होते हैं। कभी कभी बूढ़े लोग अपने पालतू जानवरों को भी वहाँ छोड़ देते है, और जो लोग पालतू जानवरों को पालना चाहते हैं वह भी वहाँ आ कर उन जानवरों को ले सकते हैं।

अगले दिन फिबी सुबह तड़के ही उठ कर स्कूल जाने के लिए खुद तैयार हो कर नीचे अपनी मां के पास आ कर बोली “माँ देखो अब मैं बड़ी हो गई हूँ न? और अगले सप्ताह तो मैं पूरे दस साल की हो जाऊँगी। मैं स्कूल जाने के लिए खुद तैयार हो गई हूँ । माँ ने फिबी की तरफ़ देखा ,सचमुच फिबी स्कूल जाने के लिए बहुत अच्छी तरह तैयार हो गई थी। आज उसने अपने बाल भी बहुत अच्छे से सवांरे थे।

 

अरे हाँ आज तो तुम सचमुच अपने आँ  बहुत अच्छी तरह तैयार हो गई। माँ ने फिबी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

माँ आपको याद है न? आज हमको कॉलोनी के फार्म हाऊस में जाना है, ख़रगोश लेने।  

हाँ हाँ बेटा मुझे बहुत अच्छे से याद है । अच्छा अब जल्दी से नाश्ता करो नहीं तो स्कूल जाने में देर हो जाएगी। फिबी ने झटपट नाश्ता किया और फिर पीछे आँगन से अपनी साइकिल ले स्कूल के लिए निकल गई ।

माँ ने कालोनी के फार्म हाऊस फोन करके पूछा क्या वहाँ किसी ख़रगोश ने बच्चे दिए हैं या कोई ख़रगोश जिसे घर की ज़रूरत हो?

फार्म हाऊस के देखभाल करने वाले पीटर ने बताया कल ही उनके यहाँ कोई अपना ख़रगोश छोड़ कर गया है। अगर वह चाहे तो आ कर ले सकते हैं। माँ ने कहा वह शाम चार बजे फिबी के साथ फार्म हाऊस आएँगी।

तीन बजे फिबी अपने स्कूल से घर आ गई। आते ही वह ऊपर अपने कमरे में जा कर कपड़े बदल कर जल्दी से नीचे आई। माँ चलों मैं तैयार हो गई। माँ और फिबी कालोनी के फार्म हाऊस पहुँचे। वहाँ पर वह फार्म हाऊस की देखभाल करने वाले पीटर से मिले। पीटर ने उन्हें पूरा फार्म हाऊस दिखाया,हर जानवर और पक्षी के बारे में बताया। तभी पीटर उनको फार्म हाऊस में बने ख़रगोशों के पिंजरों के पास ले गया। वहाँ पर बहुत सारे ख़रगोश थे। किसी ख़रगोश के कान इतने लंबे थे कि वह खुद को उन कानों में अच्छे से छिपा सकता था। फार्म हाऊस पर काम करने वाले पीटर ने बताया की यह ख़रगोश लंबे कानों वाली प्रजाति का है। यह फ़्रांस देश में पाया जाता है और इसके कानों की लंबाई 25 सेंटीमीटर से 27 सेंटीमीटर होती है। इसकी आयु चार से पाँच साल तक और कभी कभी अच्छी देख साल करने से यह छह साल तक जीवित रहता है। यह बहुत निडर और जिज्ञासु होता है। इसके कानों की हर रोज़ सफ़ाई करनी बहुत ज़रूरी होती है। यह काला, भूरा, मटमैला, सफ़ेद रंगों में पाया जाता है। फिबी ने देखा दूसरे पिंजरे में एक बिल्कुल सफ़ेद रंग की खरगोशनी अपने नन्हें नन्हें चार बच्चों के साथ है। उसके दो बच्चे उसके जैसे ही सफ़ेद थे किन्तु दो बच्चे सफ़ेद रंग के साथ काले रंग के कुछ धब्बे लिए थे। फिबी ने पीटर से उस पिंजरे की ओर इशारा करते हुए पूछा, इस ख़रगोशनी के बच्चों के दो रंग क्यों है? पीटर ने बताया ऐसा इसलिए होता है यदि इन बच्चों का पिता एकदम काले या काले सफ़ेद रंग का होने से इन बच्चों को भी दो रंग मिले हैं। फिबी को ख़रगोश के छोटे छोटे बच्चे बहुत प्यारे लग रहे थे। उसने पीटर से पूछा क्या वह उन बच्चों में से किसी एक को पालने के लिए ले सकती है? पीटर ने उसे बताया “नहीं अभी यह बच्चे सिर्फ़ दो हफ़्ते के है, इन्हें इनकी माँ की सात से आठ हफ़्ते तक और बहुत देखभाल की ज़रूरत होती है। जब ख़रगोश के बच्चे पैदा होते हैं तब उन्हें बहुत साफ़ जगह नर्म तौलिए या गद्दे में रखा जाता है। जानवरों का डॉक्टर आ कर उनको देखता है कि माँ और बच्चे स्वस्थ है या नहीं?  इस समय उनको विशेष देखभाल और माँ के दूध की ज़रूरत होती है। सात आठ हफ़्ते बाद वह खेलने लायक़ हो जातें हैं।

फिबी पीटर के साथ कुछ और आगे बढ़ी वहाँ पर छोटे छोटे ख़रगोश थे जो आपस में खेल रहे थे। फिबी ने पूछा क्या यह भी अभी छोटे हैं पालतू बनाने के लिए? पीटर ने बताया नहीं ये बौने ख़रगोश है। यह छह महीने से लेकर एक साल तक के है। यह हॉलैंड (नीदरलैंड) की प्रजाति है। यदि सही ढंग से इनकी देखभाल की जाए तो यह दस से पंद्रह साल तक तुम्हारे साथ रह सकते हैं। तभी अचानक एक बिल्ली जैसा लंबे लंबे बालों वाला जानवर फिबी के पैरों के पास आ कर उसे सूँघने लगा। फिबी डर के मारे पीछे हट गई। उसे लगा शायद कोई लंबे बालों वाली बिल्ली वहाँ आ गई। पीटर ने हँसते हुए उसे बताया “तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं है यह तो एक ख़रगोश है जो इंग्लैंड में पाया जाता है इसे लंबे बालों वाला या शेर के सिर वाला ख़रगोश कहते हैं। क्योंकि इसका चेहरा देखनें में शेर की तरह लगता है इसलिए इसका यह नाम पड़ा। इसके लंबे बालों के कारण इसे बहुत ज़्यादा देखभाल और रख रखाव  की ज़रूरत होती है। क्योंकि कभी कभी इनके लंबे बाल इनके मुँह में जाने से पेट में बाल की एक बॉल जैसा बन जाता है जिसकी वजह से इनकी मृत्यु भी हो सकती है। इनका वजन एक से डेढ़ किलो तक होता है। इसे बच्चों के साथ खेलना बहुत पंसद आता है। फिबी बड़े ध्यान से पीटर की बातें सुन रही थी। तभी उसको लगा उसके पीछे से कोई उसकी फ़्राक खींच रहा है। उसने पलट कर पीछे देखा तो वहाँ पर एक बड़ा सा ख़रगोश था जो उसके हाथों में पकड़े थैले में से गाजर निकालने की कोशिश कर रहा था। फिबी उसे देख ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी। देखो माँ कितना प्यारा है न ये। पर ये तो बहुत बड़ा ख़रगोश है। हाँ सही कहा आपने यह बेल्जियम का ख़रगोश है। यह ख़रगोशों में सबसे बड़ी प्रजाति है। इसकी लम्बाई 65/76 सेंटीमीटर और वजन 6 किलो तक होता है। जबकि दूसरे ख़रगोश सौ ग्राम से दो किलो के होते हैं और लंबाई में दस सेंटीमीटर से तीस सेंटीमीटर तक होते हैं। इस ख़रगोश को भी दूसरे ख़रगोशों की तरह देखभाल की ज़रूरत होती है। अब तक फिबी ने बहुत सारे प्रजाति के ख़रगोश देख लिये थे और उनके बारे में जान भी लिया था। तभी पीटर उन्हें उस खरगोश के पास ले गया जो कल ही उनके पास आया था। उसकी मालकिन बीमार होने के कारण उसकी देखभाल नहीं कर पा रही थी। इसलिए यहाँ छोड़ गई थी। यह एक एकदम सफ़ेद लंबे लंबे बाल वाली मादा खरगोश थी। यह छह महीने की थी। फिबी ने अपने साथ लाई गाजर का एक छोटा सा टुकड़ा उसकी ओर बढ़ाया वह झट से फिबी के पास आ गई। फिबी उसको सहलाने की कोशिश करने लगी पर वह भाग कर पिंजरे के कोने में बैठ गई। पीटर ने बड़े प्यार से उसे पिंजरे में से बाहर निकाला और फिबी की गोद में दे दिया। फिबी की गोद में आकर वह फिबी को एक कुत्ते की तरह चाटने लगी। फिबी उसकी छोटी सी गर्म जीभ को अपने हाथों पर महसूस कर रही थी। पीटर ने बताया यह तुमको चाट रही है, इसका मतलब यह है कि यह तुमको पंसद कर रही है।तु म इसे घर ले जा सकती हो, पर तुम्हें इसके बारे में थोड़ी सी और जानकारी की ज़रूरत है। फिबी ने कहा अभी तो आपने बताया इन सबके बारे में? पीटर ने कहा हाँ, पर मैंने अभी तक इनके खाने के बारे में नहीं बताया।

“मुझे पता है इनको घास और सब्ज़ियाँ बहुत पसंद है।“ बी ने कहा।

हाँ, तुम एकदम सही कह रही हो, इन्हें सब्ज़ियाँ और घास पंसद है, पर सारी सब्ज़ियाँ नहीं। कुछ सब्ज़ियाँ, फल इनके पेट में गैस बनाते हैं जिसके कारण इनके पेट में दर्द हो जाता है और जिस कारण इनकी मृत्यु भी हो सकती है।

पीटर से यह सुन फिबी एकदम सहम गई। उसने पीटर से कहा, क्या आप मुझे इसके खाने ,पीने और रख रखाव के बारे में और ज़्यादा जानकारी कर दे सकते है? ताकि मैं इसका सही ध्यान रख सकूँ।

पीटर ने कहा हाँ ज़रूर, आओ मेरे साथ। पीटर उन्हें फार्म हाऊस में बने कार्यालय में ले गया। उसने सबसे एक साफ़ सुथरा गत्ते का डिब्बा निकाला, जिसमें दोनों तरफ़ छोटी छोटी दो खिड़कियाँ बनी हुई थीं। उसने सबसे पहले फिबी के मादा ख़रगोश को उस डिब्बे में रखा थोड़ी सी साफ़ घास उसमें डाली, ताकि जब उसे भूख लगे वह खा लें। फिर उसने अंदर के कमरे में से एक छोटी सी किताब ला कर फिबी के हाथों में दी। यह किताब विशेष रूप से ख़रगोशों पर आधारित थी। पीटर ने फिबी को बताया की ख़रगोश भी हमारी तरह सामाजिक प्राणी है वह समूह में रहना पसंद करते हैं,ख़ रगोश बहुत समझदार जानवर है। हम इसकी तुलना हमारे घर के पालतू कुत्ते से कर सकते हैं। पर यह उसकी तरह शोर नहीं करते। पर तुम्हारे स्कूल से घर आने पर खुश होते हैं। ख़रगोश बहुत सफ़ाई पंसद होते हैं। इसलिए यदि तुम इसके पिंजरे में एक ख़रगोश का टॉयलेट पोट रख दोगी तो वह हमेशा ही वहीं जाएगा। घर गंदा नहीं करेंगा। इनको बच्चों के साथ खेलना बहुत पसंद होता है। इसलिए दिन में कम से कम एक दो घंटे इनके साथ ज़रूर खेलना। इन्हें तुम घर के अंदर भी रख सकती हो और बाहर भी। बाहर वाले ख़रगोश को हमेशा बाहर रहना पसंद होता है। उसका शरीर उस वातावरण के अनुरूप ढल जाता है। पर हाँ अगर मौसम का तापमान ज़ीरो डिग्री हो जाए तो इन्हें घर के अंदर रखना सही होगा। किसी किसी ख़रगोश के हर तीन महीने में मौसम के अनुसार और किसी किसी नस्ल के ख़रगोश के हर छह महीने में बाल झड़ते हैं। हम इंसानों में भी ऐसा होता है।

खाने में इन्हें इनका ही खाना जो बाज़ार में मिलता है इनकी उम्र और इनके वजन के हिसाब से वही देना चाहिए। ताज़ा ख़ास खाने के लिए वह कभी मना नहीं करते। गाजर, सलाद, खीरा, केला, सेब तरबूज़, स्ट्राबेरी, पालक भी दिन में एक दो बार छोटे छोटे टुकड़े दे सकते हैं। पानी हर दिन साफ़ देना होगा। एक ख़रगोश दिन में सौ से दो सौ ग्राम पानी पीता है। अगर ख़रगोश का पिंजरा घर में है तो उसमें बहुत नरम कपड़ा या घास का बिस्तर बनाना चाहिए। पिंजरे में पानी की बोतल, खाने का छोटा सा डिब्बा या प्लेट, खेलने के लिए सॉफ़्ट या कपड़े के एक दो खिलौने और विटामिन डी का ब्लाक रखना चाहिए, जिसको खाने से इनके दाँतो का पैनापन दूर होता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि ख़रगोश के आगे के दाँत बहुत जल्दी बढ़ते हैं। इसलिए इनके दाँत समय समय पर जानवरों के डाक्टर के पास ले जा कर जाँच करवाने चाहिए। क्योंकि ख़रगोश बहुत शांत जानवर है आप उसकी आवाज़ ज़्यादा नहीं सुन पाते, पर जब भी उन्हें किसी ख़तरे का एहसास या वह ग़ुस्सा हो तो ज़ोर से अपने पैर ज़मीन पर मारते हैं।

मुझे लगता है अब तक तुमको ख़रगोश के बारे में बहुत सी बातें पता लग गई हैं, अब तुम इसे अपने साथ अपने घर ले जा सकती हो। पीटर ने गत्ते का डिब्बा जिसमें मादा ख़रगोश थी ,फिबी की तरफ़ बढ़ाते हु कहा। अब तुम्हें इसे????? तुम इस ख़रगोश को क्या नाम देना चाहोगी? पीटर ने फिबी से पूछा।

फिबी ने ख़रगोश की तरफ़ देखा वह बिल्कुल सफ़ेद रंग की बहुत लंबे बाल वाली सुंदर सी मादा ख़रगोश थी। फिबी ने कहा ये मेरी बेला है। मैं इसे बेला कह कर ही पुकारूँगी। इतालवी भाषा में बेला का अर्थ सुंदर होता है।

माँ ने पीटर को ख़रगोशों के लिए बाज़ार से ख़रीदा हुआ ख़ाने के पैकेट दिये और साथ ही पीटर से हर सप्ताह वहाँ आ कर जानवरों के रख रखाव में उसकी मदद करने की अनुमति भी ले ली। पीटर बहुत खुश था, कि बेला को एक प्यार करने वाली नई मालकिन मिल गई। फिबी के जन्मदिन का यह सबसे अच्छा उपहार था जिसे पा कर फिबी बहुत खुश थी।

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रचनाकार परिचय

ऋतु शर्मा ननंन पाण्डेय 

ईमेल : RituS0902@gmail.com

निवास : नीदरलैंड

नाम- डॉ० ऋतु शर्मा ननंन पाण्डेय 
जन्मतिथि-  9 फ़रवरी 
जन्म स्थान- नई दिल्ली 
शिक्षा
1-पी.एच.डी पत्रकारिता एंव जनसंचार, दिल्ली विश्वविद्यालय 
2-एम.ए. अनुवाद, भारतीय अनुवाद परिषद् बंगाली मार्केट दिल्ली 
3-स्नातक-डच भाषा ड्रेंथ  कॉलेज नीदरलैंड 
संप्रति- पूर्व कार्यक्रम संचालिका-साहित्यिक कार्यक्रम “साहित्यिकी”व  “पत्रिका “दिल्ली दूरदर्शन संसद मार्ग 
पूर्व समाचार वाचिका -विदेश प्रसारण विभाग- आकाश वाणी दिल्ली 
पूर्व लेक्चरर- पत्रकारिता व जनसंचार “खालसा कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय 
प्रकाशित पुस्तकें
1-“बंद रास्तों के बीच” - हिन्दी संयुक्त अनुवाद- नोबेल पुरस्कार विजेता फ़्रांस लेख जॉन पॉल सात्रे का प्रसिद्ध नाटक “ नो एक्ज़िट “ वाणी प्रकाशन से प्रकाशित व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) दिल्ली के पाठ्यक्रम में शामिल व सौ से अधिक मंचन 
2-“जानवरों का जानी दुश्मन “-डच बाल साहित्यकार क्रिस फ़ेख्तर का बाल         उपन्यास Dieren Beul का हिन्दी अनुवाद- दो संस्करण प्रकाशित व श्री नगर विश्व विद्यालय से “ अनुवाद भूषण सम्मान “ व गीना देवी शोध संस्थान से “सर्वश्रेष्ठ हिन्दी अनुवाद “से सम्मानित 
3- नीदरलैंड की लोक कथाएँ-इंदौर संभाग पुस्तकालय संघ द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए “कृति कुसुम सम्मान “ से सम्मानित व इंदौर पुस्तकालय में रजिस्टर्ड 
4-नीदरलैंड की चर्चित कहानियाँ आई सेंट प्रकाशन भोपाल 
संपादित पुस्तकें 
1- “पहला गिरमिटिया “ भारतीय ज्ञान      पीठ प्रकाशन से प्रकाशित 
1-वैश्विक काव्य संग्रह “दरख़्त-ए-ज़र्द ‘ देसी एहसास परदेसी कलम के साथ “ इंदौर के संभाग पुस्तकालय संघ द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए “ कृति कुसुम सम्मान “ से सम्मानित व इंदौर पुस्तकालय में रजिस्टर्ड 
2- “उद्भ्रांत की साहित्य साधना “एक विमर्श “ न्यू वर्ड  पब्लिकेशन दिल्ली ।
3-“वागीश सम्मान यू. ए. ई संस्थान की    संपादक 
4-“वैश्विक लघुकथा पीयूष “” वैश्विक लघुकथा ह्युस्टन यू एस ए 
साँझा संकलन-  व -शोध पत्र
1-निंशक का रचना संसार 
2- “मेरा प्रवास मेरा जन्म “विश्व रंग  पत्रिका 
3-आज़ादी के 75 वर्ष व 75 रचनाकार -भोपाल 
4-नदी संवाद -अंतरराष्ट्रीय नदी स्त्रोतों पर विचार विमर्श -पर्यावरण विभाग भारत 
5-स्त्री-शुभ संकल्प संस्था इंदौर 
6-स्वयं सिद्धा- शुभ संकल्प इंदौर 
7-मैं सृष्टि हूँ-संपर्क संस्था जयपुर  
8-सरहदों के पार-चाँदनी -चाय और -फ़लसफ़े काव्य संग्रह नीदरलैंड 
9-प्रवासी भारतीय साहित्य और संस्कृति 
10-कलम ज़िन्दगी और मुस्कुराहट “ नीदरलैंड व अन्य अनेक साँझा संकलन 
विशेष
2012 से अब तक टाउन हॉल आसन (नीदरलैंड)के टाउन हॉल की परामर्श समिति की सदस्या 
संस्थापक “मैत्री vriendschap voor iedereen, समाजिक संस्था नीदरलैंड 
संस्थापक-Meiden Club en Mama Ochtend Nederland (महिला उत्थान संस्था) 
सह अध्यक्ष बाल साहित्य समूह Word of Children’s Literature Art & Culture ( साढ़े तीनहज़ार से अधिक बाल साहित्यकार जुड़े हैं। हर माह बाल साहित्य पर लाइव प्रसारण) 
कार्यक्रम संचालिका 2005 “अंतरराष्ट्रीय फिल्म फ़ेस्टिवल नीदरलैंड “
अध्यक्ष ‘’अंतरराष्ट्रीय हिंदी संगठन शाखा नीदरलैंड” ( हर माह एक साहित्यिक विषय पर लाईवकार्यक्रम) 
बोर्ड मेम्बर सीनियर सेकेंडरी स्कूल Vincent van Gogh ( TTO ) School Assen 
नीदरलैंड प्रभारी “ वैश्विक हिन्दी परिवार “
विदेश संयोजिका “हिन्दुस्तानी प्रचार सभा मुंबई “
संयोजिका “हिन्दी परिषद नीदरलैंड “
प्राध्यापिका “सूरीनाम हिन्दी परिषद” सूरीनाम
नीदरलैंड सचिव “ हिन्दी अकादमी मुंबई “
सह अध्यक्ष “उत्सव भारती ट्रस्ट भारत “
ग्लोबल अध्यक्ष “फ़िल्म फ़ाउण्डेशन ट्रस्ट “
शिक्षण कार्य-
हिन्दी परिषद् नीदरलैंड की संयोजिका व सूरीनाम हिन्दी परिषद् की प्राध्यापिका के रूप में निःशुल्क शिक्षण कार्य।
पुरस्कार/ सम्मान- 
-विशेष समाजसेवी का पुरस्कार-टॉउन हॉल आसन नीदरलैंड 
--“हिन्दी भूषण सम्मान “हिन्दी अकादमी मुंबई , 
—विशेष हिन्दी सेवा सम्मान “ बहुभाषीय काव्य संगठन लंदन 
-प्रवासी साहित्यकार सम्मान रविंद्र नाथ टैगोर यूनिवर्सिटी भोपाल, 
प्रवासी साहित्यकार सम्मान विश्व रंग  महोत्सव भोपाल, 
—साहित्य रत्न सम्मान “नागरी लिपि संस्थान नई दिल्ली 
-शुभ संकल्प विशेष सम्मान “इंदौर, मन मुक्त विशेष युवा सम्मान “ 
-प्रवासी साहित्यकार सम्मान “तेलंगाना हिन्दुस्तानी प्रचारिणी सभा,” 
—साहित्य रत्न सम्मान “हिन्दी की गूंज पत्रिका जापान 
—अनुज्ञा सत्य नारी सम्मान “ 
—-प्रेमचंद साहित्य सम्मान  व अन्य अनेक सम्मानों से सम्मानित। 
नीदरलैंड में रहते हुए दो दशकों से हिन्दी भाषा के शिक्षण व प्रचार प्रसार में संलग्न महिलाओं व बालिकाओं के लिए विशेष संस्था का गठन  ( Mama ochtend en meiden club ) डच व विदेशी महिलाओं के अधिकारों की जानकारी देना।