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नीता अवस्थी के बाल गीत

नीता अवस्थी के बाल गीत

छोटे-छोटे हाथ मगर हम,
बीज खुशी के रोपेगें।
रोड़ा अगर बीच में आया,
उसे काटकर फेकेगें।।

एक- आई होली

रंग बिरंगी आई होली।
फगुवारों की निकली टोली।।

अम्मा बना रहीं हैं खाना।
कहती बाहर अभी न जाना।।

पहले मुँह में तेल लगाओ।
फिर पिचकारी लेकर जाओ।।

सोनू मोनू खड़े पुकारे।
रंग भरे गुब्बारे मारे।।

हम सब साथी जिधर गुजरते।
सभी दूर से राह बदलते।।

करते हैं सब हँसी ठिठोली।
फगुवारों की निकली टोली।।

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दो- बाल गीत

सब्जी वाला भैया आया ।
तरह तरह की सब्जी लाया।।

आलू, गोभी और टमाटर।
बैंगन, पलवल, खीरा, गाजर।।
नीबू, मिर्ची, मूली, अदरक,
पालक और पुदीना लाया।।


बाबा हम लौकी खाएँगे।
खाकर लम्बे हो जाएँगे।।
होती है यह अति गुणकारी,
मास्टर जी ने है बतलाया।।

कद्दू, भिंडी हमको भाते।
बड़े प्रेम से इनको खाते।।
अब खाएँगे हरी सब्जियाँ।
इसका राज समाझ में आया।।

आलू कटहल कम खाएँगे
हरी सब्जियाँ नित खाएँगे
सब्जी में है बहुत विटामिन,
होगी स्वस्थ निरोगी काया।।

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तीन- तस्वीर

बड़े प्यार से दादी जी ने,
कमरे में तस्वीर लगायी।
लाठी लिये खड़ा था कोई,
मेरे मन को तनिक न भायी।।

कितना अच्छा कमरा है यह,
दादी जी इसको हटवाओ।
इसी जगह पर गोविंदा का,
चित्र एक सुंदर लगवाओ।।

नहीं- नहीं ऐसा मत बोलो,
बेटे ये हैं प्यारे बापू।
सत्य अहिंसा के संवाहक,
सारे जग से न्यारे बापू।।

चरखे का दे मंत्र सभी को,
खादी को सम्मान दिलाये।
वस्त्र विदेशी जलवा सबको,
खादी के कपड़े पहनाये।।

आजादी हासिल करवाके,
अंग्रेजों से मुक्ति दिलायी।।
भाई-चारा देकर हमको,
देश प्रेम की राह दिखायी।।

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चार- नन्हें सैनिक

हम भारत के नन्हें सैनिक,
गीत खुशी के गायेगें।
बड़ी शान से झण्डाअपना,
चोटी पर लहरायेगें।।

छोटे-छोटे हाथ मगर हम,
बीज खुशी के रोपेगें।
रोड़ा अगर बीच में आया,
उसे काटकर फेकेगें।।

छोटा पैकेट बड़ा धमाका,
दुश्मन से टकरायेगें।
हम भारत के नन्हें सैनिक,
गीत खुशी के गायेंगे।।

सत्य राह पर चलने वाले,
परहित का मन भाव भरे।
सभी बड़ो का करते आदर,
बाधाओं से नहीं डरे।।

छुई-मुई का पेड़ नहीं जो,
देख तुम्हें मुरझायेगें।
हम भारत के नन्हें सैनिक,
गीत खुशी के गायेंगे।।

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पाँच- आमंत्रण

गौरेया कल सुबह गाँव की,
पंचायत में आना।
वहाँ तुम्हें सम्मानित करने,
की सबने है ठाना।।

बिना तुम्हारे घर आँगन में,
रहती सदा उदासी।
बाद तुम्हारे छोड़ गयीं सब,
हुई शहर की वासी।।

बीस मार्च का आमंत्रण है,
देखो मत ठुकराना।।

देंगे तुमको दाना पानी,
और सभी सुविधाएँ।
कुछ भी नहीं अमंगल होगा,
होंगी पूर्ण कथाएँ ।।

खुशियाँ बरसेंगी आँगन में,
छोड़ नहीं तुम जाना।।

सबने मिलकर नीड़ बनाए,
लटक रहें हैं खाली।
वापस आ जाओ गौरैया,
हो जाए दीवाली।।

पेड़ नहीं अब कटने देंगे,
मन में सबने ठाना।।

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रचनाकार परिचय

नीता अवस्थी

ईमेल :

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि- 15 दिसंबर
जन्मस्थान- उन्नाव
लेखन विधा- दोहा ,कुण्डलिया, गीत, नवगीत, तेवरी, बाल काव्य, राज छंद अनेक  विधाओं में लेखन..
शिक्षा- परास्नातक हिन्दी , समाज शास्त्र
सम्मान- विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित 
प्रकाशन- कई एकल काव्य संग्रह एवं बाल साहित्य प्रकाशित 
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में एवं साझा संकलनों में प्रकाशित 
मोबाइल- 9169222741