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डॉ० सुरिन्दर कौर नीलम के माहिए

डॉ० सुरिन्दर कौर नीलम  के माहिए

आया है संदेशा 
दुश्मन रोक रहा,
हमले का अंदेशा।

आँखें रुत सावन की 
सरहद पर साजन 
न खबर है आवन की।



आया है संदेशा 
दुश्मन रोक रहा,
हमले का अंदेशा।



उन वादों के पौधे 
देखना सूखें न 
गमले में हैं रोपे।



सच तुम पर मरता हूँ  
पहले देश रखूंँ 
सब पीछे करता हूँ।



अख दर प गड़ी होगी 
माँ का ख्याल रहे,
रस्ते प खड़ी होगी।



बाबा भी जोगी हैं 
सट न लगे धक से 
वो दिल के रोगी हैं।



यदि आऊँ काँधे पे 
फूलों से कहना 
बरसें वो तिरंगे पे।



है तुम पर गर्व घना 
सरहद रखवाला 
वो मेरा सजन बना।
 
******************
 
अख - आँख
सट - चोट 
 
माहिया के बारे कुछ कहना चाहती हूँ जो मेरे मन में है 
 
ये असल में टप्पे हैं। पंजाब के लोकगीतों की एक शैली है। जिसमें कोई छंद विधान नहीं होता ।लय और धुन पर गीत फिसलते हैं।
 
अब टप्पे को छंद विधान में बाँध कर माहिया का रूप दे दिया गया है 
12,10,12 मात्रा 
 
इस हिसाब से लिखने में मैंने कुछ पंजाबी शब्दों का प्रयोग किया है 
जैसे आँख-अख 
चोट-सट
 
 
 

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रचनाकार परिचय

सुरिन्दर कौर नीलम

ईमेल :

निवास : राँची, झारखण्ड

नाम- डॉ० सुरिन्दर कौर नीलम
जन्मतिथि- 25 नवम्बर
जन्मस्थान- जमशेदपुर, झारखंड
लेखन विधा-गीत, ग़ज़ल, कविता,छंद, आलेख, समीक्षा, लघुकथा,संस्मरण आदि
शिक्षा- एम ए ( दर्शनशास्त्र एवं हिन्दी),पीएच डी,बेचलर ऑफ जर्नलिज्म सम्प्रति- पूर्व विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र,स.प.म.महाविद्यालय, रांची
प्राकाशन- एक काव्य संग्रह,दो संग्रह बोधि प्रकाशन में प्रकाशनार्थ, अनेक साझा संग्रह
सम्मान- झारखंड सरकार द्वारा सम्मानित, लोक सेवा समिति द्वारा झारखंड रत्न, दूरदर्शन द्वारा सम्मानित, जबलपुर, लखनऊ, जमशेदपुर, दिल्ली, रांची में अनेक पुरस्कार
प्रसारण- दूरदर्शन, आकाशवाणी, विभिन्न चैनल एवं देश के विभिन्न मंचों पर विशेष- महिला काव्य मंच की प्रदेश उपाध्यक्ष एवं विभिन्न मंचों से जुड़ाव
संपर्क- सी डी 755, सेक्टर 2, साइट 5, एच ई सी काॅलोनी, पोस्ट- धुर्वा, राँची 834004, झारखण्ड